सरगुजा: पहचान बढ़ाकर युवक के नाम पर बैंक में खाता खुलवाया, छह माह में पौने दो करोड़ का लेन-देन, दो आरोपी धोखाधड़ी के आरोप में FIR दर्ज

अंबिकापुर, सरगुजा | गांधीनगर थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो युवकों ने जान-पहचान का फायदा उठाकर कृषि विभाग में कार्यरत युवक के नाम पर IDBI बैंक में दो फर्जी खाते खुलवा लिए और उनमें छह माह के भीतर करीब 1.80 करोड़ रुपए का संदिग्ध लेन-देन कर डाला। जब बैंक की ओर से खाता धारक को नोटिस मिला, तब पूरे मामले का खुलासा हुआ।
फर्जीवाड़े का तरीका गंगापुर स्थित कृषि विभाग कार्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत वैभव सूर्यवंशी (20 वर्ष) ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि नवंबर 2024 में एक रैली के दौरान उसकी पहचान नवापारा अंबिकापुर निवासी सुमित सिंह ठाकुर और अनुज सिंह से हुई थी। दोनों ने वैभव से दोस्ती बढ़ाई और दावा किया कि उन्हें घर बनाने के लिए परिवार से पैसे मंगाने हैं, लेकिन उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं। इसके बहाने उन्होंने वैभव से बैंक में खाता खुलवाने की साजिश रची।
दोनों आरोपी युवक वैभव को नवापारा के एक अन्य व्यक्ति के पास लेकर गए, जिसे उन्होंने IDBI बैंक कर्मचारी बताया और दावा किया कि उसके पास थम्ब मशीन है, जिससे खाता खुलता है। वैभव से थम्ब इम्प्रेशन और हस्ताक्षर ले लिए गए और खाते खुलवा दिए गए।
दस्तावेज लेकर कर लिया नियंत्रण कुछ दिनों बाद दोनों आरोपियों ने वैभव से बैंक की चेक बुक, पासबुक और एटीएम कार्ड मंगवाकर अपने पास रख लिया और एक चेक पर उसका हस्ताक्षर भी करवा लिया। वैभव को बताया गया कि खाता खुलवाने के बदले उसे कुछ पैसे दिए जाएंगे, लेकिन बाद में उससे कोई संपर्क नहीं किया गया।
बैंक नोटिस से हुआ खुलासा दिनांक 21 मई 2025 को IDBI बैंक से कर्मचारी वैभव के घर पहुंचे और एक नोटिस थमाया, जिसमें बताया गया कि उसके नाम पर बैंक में दो खाते चल रहे हैं और उनमें अत्यधिक लेन-देन हो रहा है। बैंक पहुंचने पर वैभव को पता चला कि एक सेविंग अकाउंट में करीब 80 लाख रुपए और एक करंट अकाउंट में लगभग एक करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला वैभव सूर्यवंशी की शिकायत पर गांधीनगर थाना पुलिस ने सुमित सिंह ठाकुर और अनुज सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। मामले की जांच जारी है और पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि खातों में किस प्रकार की रकम जमा और निकाली गई थी तथा इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं है।
प्राथमिक जांच में बड़ा वित्तीय घोटाला होने की आशंका जताई जा रही है।