Chhattisgarh

CG हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : प्रमोशन में आरक्षण पूरी तरह से रद्द, सरकारी कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका

प्रमोशन में आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 2019 के राज्य सरकार के आदेश को पूर्णतः निरस्त कर दिया है। इससे पहले अदालत ने इसपर रोक लगाई थी। पूरे केस की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एन.के. चंद्रवंशी की डीबी ने की है। बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका निराकृत कर दी है।

याचिकाकर्ता संतोष कुमार के वकील योगेश्वर शर्मा ने बताया कि, छत्तीसगढ़ हाईकोट ने अपने फैसले में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया था। जिसमें कहा गया कि, प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए हर विभाग से जातिगत डाटा एकत्रित कर केवल जिन्हें जरूरत है उन्हीं SC/ST कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाना चाहिए। जबकि डाटा कलेक्ट करने का काम पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया था।

बता दें कि, प्रमोशन में आरक्षण मामले पर कुछ दिनों पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द करने की मांग खारिज कर दी थी। मामले पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एन.के. चंद्रवंशी की डीबी ने ही अपना फैसला सुनाया था।

नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा।

राज्य सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ रायपुर के एस. संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए जनहित याचिका प्रस्तुत की है। राज्य शासन के प्रमोशन पर आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में पहली जनहित याचिका दायर करके कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरक्षण नियम के विपरीत है। साथ ही राज्य शासन द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई है।

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