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‘चुनाव के बीच नियम बदलना नामुमकिन’, EC ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

वोटर टर्न आउट यानी मतदान और मतदाताओं का डेटा मतदान का समय पूरा होने के 48 घंटों के भीतर सार्वजनिक करने का आदेश देने की गुहार वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाबी हलफनामा चुनाव आयोग ने दाखिल कर दिया है.

आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि बूथवार फॉर्म 17C आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है. इससे फार्म 17सी में फर्जीवाड़ा किया जा सकता है. इससे खामख्वाह आयोग पर लोगों का अविश्वास होगा.

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फाइनल डेटा आने में क्यों लगता है वक्त?

चुनाव आयोग ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि फॉर्म 17c अपलोड करने की हड़बड़ी में बहुत मुमकिन है कि वेरिफिकेश के दौरान मानवीय, तार्किक और गणितीय भूल चूक हो जाए. लिहाजा ये घोषणा की जाती है कि रिटर्निंग ऑफिसर दूरदराज की पोलिंग पार्टी से मिली सूचनाओं को शामिल करने में वक्त लगता है. इसी वजह से फाइनल डेटा आने में थोड़ा वक्त लगता है.

चुनाव कर्मचारियों को दोबारा प्रशिक्षण देना नामुमकिन’ – EC

आयोग ने कहा है कि इस बाबत चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों को सघन प्रशिक्षण दिया गया है. आम चुनाव संचालित करने में महीनों का सुनियोजित मेहनत लगता है. अब चुनाव प्रक्रिया के समापन के दौर में प्रक्रियागत कोई भी बदलाव करने से भ्रम की स्थिति बढ़ेगी. क्योंकि अब नए सिरे से नई प्रक्रिया का प्रशिक्षण देना नामुमकिन है, क्योंकि आखिरी दो चरणों के लिए चुनाव कर्मचारी ड्यूटी में जुटे हुए हैं.

चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि सबको समान अवसर देने की अवधारणा के तहत प्रक्रिया के नियम समय रहते ही अमल में लाने चाहिए. सभी दलों को भी इस बाबत पहले से पता रहना चाहिए. आयोग ने कहा कि चुनाव की चलती प्रक्रिया में कोई बदलाव उचित नतीजे नहीं दिखाएगा.

Manish Tiwari

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