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हरियाणा : तीन विधायकों की समर्थन वापसी से क्या संकट में सैनी सरकार, जानिए हरियाणा विधानसभा का गणित

हरियाणा की राजनीति एक बार फिर से गर्मा उठी है। भाजपा को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीयों ने सरकार से समर्थन वापस लेते हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया है। रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ निर्दलीय विधायक दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंधर ने कांग्रेस के समर्थन का एलान किया है।

मंगलवार को तीनों विधायक रोहतक पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की मौजूदगी में प्रेसवार्ता की। अब इन तीनों विधायकों के कांग्रेस के समर्थन में आने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा में सैनी सरकार संकट में है। तो आइए समझते हैं हरियाणा विधानसभा का गणित।

2019 में ऐसे बनी थी सरकार
हरियाणा में 90 हलके हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बहुमत का आंकड़ा छुने में असफल रही थी। वहीं, इनेलो से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी के दस विधायक बने थे। सात निर्दलीयों ने भी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के खाते में 31 सीट तो इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी के खाते में एक एक सीट आई थी। इस स्थिति में भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन किया और करीब साढ़े चार साल तक प्रदेश में सरकार चलाई। इस दौरान कांग्रेस की आदमपुर सीट कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने से खाली हुई और वहां उपचुनाव में उनके बेटे ने जीत दर्ज की और भाजपा के प्रदेश में 41 विधायक हो गए। वहीं, कांग्रेस के पास तीस विधायक रह गए।

लोकसभा चुनाव से पहले टूटा गठबंधन, निर्दलियों के सहारे से बनी सरकार
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और जजपा का सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन टूट गया। सामने आया कि जजपा भिवानी और हिसार लोकसभा की सीट मांग रही थी, तो भाजपा ने इन्हें रोहतक सीट ऑफर की थी। इसके बाद 12 मार्च को लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया। चंडीगढ़ में भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद सीएम अपने मंत्रिमंडल के साथ राजभवन पहुंचे और पूरी कैबिनेट का इस्तीफा सौंपा। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के पास अपने 41, छह निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक का समर्थन था। जजपा के कुछ विधायक भी भाजपा के साथ आते दिखाई दिए, लेकिन विहिप जारी होने के कारण सदन से बाहर चले गए और ध्वनी मत से सैनी सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खाले हुए हैं।

अब क्या है विधानसभा की स्थिति
फिलहाल हरियाणा विधानसभा में 90 में से 88 सदस्य हैं। करनाल विधानसभी सीट पर उपचुनाव होने हैं, क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर यह सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चुनाव लड़ने के लिए खाली की थी। निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अपने विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। विधानसभा में फिलहाल 88 में से 40 एमएलए भाजपा के, 30 कांग्रेस, 10 जजपा, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं। वहीं अभी छह सदस्य निर्दलीय हैं। इनमें से तीन कांग्रेस के तो दो भाजपा समर्थन में हैं। महम से विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ मुखर हैं। 88 सीट में बहुमत के लिए भाजपा को 45 का आंकड़ा चाहिए। जिनमें 40 एमएलए भाजपा के खुद के हैं दो निर्दलीय और एक हलोपा के एमएलए का समर्थन भाजपा को है।

ऐसे में संख्या 43 तक पहुंचती है, जो बहुमत से दो कम है और सरकार अल्पमत में आ रही है। लेकिन भाजपा का दावा है कि सरकार अल्पमत में नहीं आई है और न ही सरकार को कोई खतरा है। मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीन आत्रेय ने कहा कि प्रदेश सरकार अल्पमत में नहीं है। आज भी सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है। इनमें भाजपा के 40 विधायक, 2 निर्दलीय राकेश दौलताबाद और नयनपाल रावत व हलोपा के विधायक गोपाल कांडा सरकार के साथ हैं। इनके अलावा जजपा के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम, नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली और जोगीराम सिहाग का भी सरकार को समर्थन है। ऐसा है तो सैनी सरकार फिलहाल संकट में नहीं है।

वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया है कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से अब सरकार अल्पमत में आ गई है। इसलिए तुरंत प्रभाव से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और विधानसभा चुनाव कराए जाएं।

सरकार के पाले में 47 विधायक : प्रवीन आत्रेय
मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीन आत्रेय ने कहा कि प्रदेश सरकार अल्पमत में नहीं है। आज भी सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है। इनमें भाजपा के 40 विधायक, 2 निर्दलीय राकेश दौलताबाद और नयनपाल रावत व हलोपा के विधायक गोपाल कांडा सरकार के साथ हैं। इनके अलावा जजपा के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम, नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, टोहाना से विधायक देवेंद्र बबली और जोगीराम सिहाग का भी सरकार को समर्थन है। वैसे भी कानूनन सरकार के विरुद्ध छह महीन तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता, क्योंकि मार्च में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाकर मुंह की खा चुकी है। कांग्रेस केवल लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जनता हकीकत जानती है।

अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विस सत्र बुलाना जरूरी
हरियाणा विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव राम नारायण यादव ने बताया कि छह माह से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है, ऐसा कोई नियम नहीं है। यह केवल एक धारणा है, क्योंकि विधानसभा का सत्र छह माह में बुलाने का नियम है। अविश्वास प्रस्ताव सत्र के दौरान ही लाया जा सकता है, जबकि विश्वास मत हासिल करने के लिए राज्यपाल कभी भी कह सकते हैं। हालांकि, इसके लिए विपक्ष को राज्यपाल के पास जाकर बताना होता है कि उनके पास बहुमत है। अगर राज्यपाल संतुष्ट होते हैं तो वह सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं और समय भी तय कर सकते हैं।

हुड्डा की राष्ट्रपति शासन की मांग, CM बोले- MLAs की कुछ इच्छाएं होती हैं, कांग्रेस पूरी करने में लगी
हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों की ओर से सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जनभावना के हिसाब से तीनों विधायकों ने फैसला लिया है। कांग्रेस की लहर चल रही है और इस लहर में इनका भी योगदान होगा।

तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा हरियाणा सरकार से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर, हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नायब सिंह सैनी ने कहा कि मुझे यह जानकारी मिली है। विधायकों की कुछ इच्छाएं होती है। कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी हुई है। अब कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

Manish Tiwari

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