नौकरी के बदले जमीन घोटाला: ED ने 10 घंटे में लालू यादव से पूछे 70 सवाल, अधिकारियों पर खूब गर्माए लालू

नई दिल्ली।नौकरी के बदले जमीन घोटाले में ईडी ने कई बड़े खुलासे किए हैं। उसमें से एक तो चौंकाने वाला है। बताया गया है कि लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की गाय पालने वाला भी नाजायज जमीन लेकर रईस बन गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी की ‘गौशाला’ के एक पूर्व कर्मचारी ने रेलवे में नौकरी के इच्छुक एक व्यक्ति से संपत्ति हासिल की। बाद में इसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया गया। यह आरोप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को लगाया जो जमीन के बदले नौकरी मामले की जांच कर रहा है। केंद्रीय एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष एक आरोप-पत्र दायर किया था जिसमें कुछ अन्य लोगों के अलावा लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को आरोपी बनाया गया था।
राबड़ी की गौशाला देखने वाले तक ने ली जमीन- ED
आरोप-पत्र में ईडी ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के कथित करीबी सहयोगी अमित कात्याल (49), घोटाले के कथित लाभार्थी और पूर्व गौशाला कर्मचारी हृदयानंद चौधरी तथा दो कंपनी – एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और एबी एक्सपोर्ट्स प्रा. लिमिटेड – को उनके साझा निदेशक शारीकुल बारी के माध्यम से नामजद किया गया था। दिल्ली की अदालत ने पिछले हफ्ते आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया और आरोपियों को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए 9 फरवरी को उसके सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया।
ऐसा था जमीन के बदले नौकरी घोटाला
कात्याल को ईडी ने पिछले साल नवंबर में ‘मनी लॉन्ड्रिंग में लालू प्रसाद और उनके परिवार की जानबूझकर सहायता करने’ के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद है। सोमवार को ईडी ने मामले की जांच के तहत अपने पटना कार्यालय में 75 वर्षीय लालू प्रसाद से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया। उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को पटना बुलाया गया है। जांच इस आरोप से संबंधित है कि लालू प्रसाद ने केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार में रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में 2004-2009 के दौरान भारतीय रेलवे में ग्रुप-डी के पदों पर नियुक्ति के लिए भ्रष्टाचार किया था। ईडी ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी और आरोप-पत्र के अनुसार, अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में रिश्वत के रूप में भूमि हस्तांतरित करन के लिए कहा गया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है।