शिवराज सिंह चौहान और सांसद विवेक तन्खा से सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, ‘कृपया मजबूर न करें’ जानें क्या है मामला?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के बीच चल रहे मानहानि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की सलाह दी है। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं—महेश जेठमलानी (शिवराज की ओर से) और कपिल सिब्बल (तन्खा की ओर से)—से कहा कि, “हमें यह मामला सुनने के लिए मजबूर न करें, कृपया दोनों पक्ष मिलकर इसे आपस में सुलझाएं।”
विवेक तन्खा ने साल 2021 में शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा किया था। उनका आरोप है कि इन नेताओं ने उन्हें ओबीसी आरक्षण का विरोधी बताकर उनकी सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब दोनों पक्षों पर इस विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने का दबाव बढ़ गया है। मामले की अगली सुनवाई से पहले क्या कोई आपसी समझौता हो पाएगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।