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भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाला: EOW ने शुरू की जांच, 220 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी, CBI जांच की मांग तेज, जल्द हो सकती हैं बड़ी गिरफ्तारियां

रायपुर। भारतमाला परियोजना में सामने आए बहुचर्चित मुआवजा घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने शुरू कर दी है। EOW ने जिला प्रशासन से करीब 500 पन्नों की जांच रिपोर्ट तलब की है। सूत्रों के मुताबिक विभाग पहले ही कई अहम दस्तावेज जुटा चुका है और गोपनीय जांच भी पूरी हो चुकी है। अब जल्द ही इस मामले में दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज होने की संभावना है। राज्य में यह पहली बार है जब किसी भूमि मुआवजा विवाद की जांच EOW के हाथों में गई है।

EOW की शुरुआती जांच में सामने आया है कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए लगभग 43 करोड़ रुपये का मुआवजा हासिल किया था। वहीं विस्तृत जांच में यह आंकड़ा बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का रिकॉर्ड एजेंसी को मिल चुका है।

नेता प्रतिपक्ष ने की CBI जांच की मांग
घोटाले की बढ़ती राशि को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजकर मामले की CBI जांच की मांग की है।

क्या है भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाला?
भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसमें रायपुर से विशाखापट्टनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बननी है। इसके लिए किसानों से भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन मुआवजे की प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आईं। विधानसभा बजट सत्र 2025 में महंत ने यह मुद्दा उठाया था, जिसके बाद जांच का निर्णय लिया गया।

दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला
बताया जा रहा है कि लगभग 300 करोड़ रुपये के इस घोटाले का खुलासा दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद हुआ। जब 248 करोड़ रुपये बांटे जाने के बाद 78 करोड़ के नए क्लेम सामने आए, तो नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से जांच के निर्देश दिए। हालांकि यह जांच वर्षों तक रुकी रही। अंततः दिल्ली से दबाव के बाद कलेक्टर ने रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यह बात सामने आई कि वास्तविक मुआवजा 35 करोड़ के आसपास होना चाहिए था, लेकिन 213 करोड़ रुपये अधिक वितरित किए गए।

क्या कहते हैं भूमि अधिग्रहण नियम?
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार यदि किसी हितग्राही की 5 लाख रुपये की ज़मीन ली जाती है, तो उसे उतनी ही राशि सोलेशियम (सांत्वना राशि) के रूप में दी जाती है। इस प्रकार उसे कुल 10 लाख रुपये मुआवजे में मिलते हैं। कुछ मामलों में यह राशि और भी अधिक हो सकती है।

EOW की रिपोर्ट के बाद इस घोटाले में बड़े नामों के सामने आने की संभावना जताई जा रही है। अब देखना होगा कि इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में कब और किसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई होती है।

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Manish Tiwari

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