Chhattisgarh

Kanker:अफसर ने अपनी मोबाइल ढूंढने बहाया 21 लाख लीटर पानी , फूड इंस्पेक्टर को कलेक्टर ने किया सस्पेंड

कांकेर. यहाँ के पखांजूर में कार्यरत एक फूड इंस्पेक्टर का पार्टी करने के दौरान एक लाख रुपए का मोबाइल परलकोट जलाशय में गिर गया तो अफसर ने पहले गांव के गोताखोरी जानने वालों को मोबाइल ढूंढने में लगाया। नहीं मिला तो अगले दिन पंप लेकर पहुंच गए। चार दिन तक पंप लगाकर जलाशय का पानी खाली कराया जाता रहा। खबर वायरल होने पर कांकेर कलेक्टर ने फूड इंस्पेक्टर का निलंबन आदेश जारी कर दिया है। फूड इंस्पेक्टर का का कहना है कि मो में विभागीय जानकारी थी। इस लिए उसने जलाशय खाली कराया जब की चर्चा है कि मोबाइल एक लाख रुपए का होने के कारण खाली कराया जा रहा था।
बताया जाता है कि फूड इंस्पेक्टर चार दिन छतरी लगाकर बैठा रहा और पंप चलते रहे। अफसर ने अपना मोबाइल पाने के लिए बांध को खाली करने का आदेश दिया तो दो मोटर पम्प लगाकर पानी को बाहर निकाला जाने लगा। इसमें पूरे 4 दिन लग गए और बांध के वेस्ट वियर से स्केल वाय के बीच जमा 21 लाख लीटर पानी बहा दिया गया। इतना पानी डेढ़ हजार एकड़ की सिंचाई के लिए काफी था। पानी ज्यादा था, इसलिए तय हुआ कि बांध के इस हिस्से को खाली करना होगा। फूड अफसर ने जलसंसाधन एसडीओ से मौखिक बातचीत की। फिर पानी निकालने के लिए 30 एचपी के दो बड़े डीजल पंप लगाए गए। सोमवार शाम पंप चालू किए गए, जो गुरुवार तक चौबीसों घंटे चले। स्केल वायर में 10 फीट पानी भरा था, जो 4 फीट पर आ गया। शिकायत पर सिंचाई अफसर मौके पर पहुंचे और पानी निकालना बंद करवाया। लेकिन तब तक स्केल वाय से 6 फीट पानी निकल चुका था। यह तकरीबन 21 लाख लीटर होता है।

फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास ने स्वीकार किया कि फोन में विभागीय जानकारी थी, इसलिए यह कदम उठाया। लेकिन फोन बंद हो गया है। एसडीओ सिंचाई विभाग के एसडीओ आरसी धीवर के अनुसार उन्हें बताया गया था कि थोड़ा-बहुत पानी निकलेगा। धोखे में रखकर ज्यादा बहा दिया। चार फीट पानी में गोताखोरों ने गुरुवार को मोबाइल ढूंढ दिया। लेकिन पानी में रहने की वजह से यहऑन नहीं हुआ। मोबाइल सुधारकों ने बताया कि इतने दिन तक यह वाटर प्रूफ नहीं रह सकता।

जानवरों को नही मिलेगा पानी

सकेल वाय में गर्मी में भी 10 फीट से अधिक पानी रहता है। यहां आसपास के जानवर भी आते हैं। पानी खाली होने से नाराज ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन में जानवरों को भी पानी नहीं मिलेगा।

क्योंकि जंगल-पहाड़ों के जलस्त्रोत लगभग सूख गए हैं। बस्तर के दर्जनों गांवों में पीने के पानी के लिए ग्रामीण झिरिया खोद रहे हैं। महिलाएं कई-कई किमी चलकर जंगलों से पानी ला रही हैं। अगर सरकारी अफसरों को इस दर्द का एहसास नहीं है, तो फिर संवेदनशील प्रशासन के दावे झूठे हैं।

फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास ने स्वीकार किया कि फोन में विभागीय जानकारी थी, इसलिए यह कदम उठाया। लेकिन फोन बंद हो गया है सिंचाई विभाग के एसडीओ आरसी धीवर के अनुसार उन्हें बताया गया था कि थोड़ा-बहुत पानी निकलेगा। धोखे में रखकर ज्यादा बहा दिया।

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