भारतीय बाघ गणना रिपोर्ट:देशभर में 51 टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़ के अचानकमार 39, उदंती 48, इंद्रावती 50वां नंबर पर
देशभर के 51 टाइगर रिजर्व की रैंकिंग भी जारी की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति अच्छी नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से रविवार को जारी भारतीय बाघ गणना की रिपोर्ट में देशभर में टाइगर बढ़ने के आंकडे तो जारी हुए हैं, लेकिन इनकी राज्यवार संख्या अभी जारी नहीं की गई है। इसके अलावा, देशभर के 51 टाइगर रिजर्व की रैंकिंग भी जारी की गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति अच्छी नहीं है। छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व हैं-अचानकमार, उदंती-सीतानदी और इंद्रावती। राष्ट्रीय रैंकिंग के अनुसार अचानकमार टाइगर रिजर्व 39वें नंबर पर है।
जबकि उदंती सीतानदी 48वें और इंद्रावती सेकेंड लास्ट (50वां नंबर) है। बाघों की गणना की मौजूदा रिपोर्ट और टाइगर रिजर्व की रैंकिंग मैनेजमेंट इफैक्टिवनेस ईवेल्युवेशन ऑफ टाइगर रिजर्व ऑफ इंडिया (एमआईआई) पर आधारित है। इस रिपोर्ट को रैंकिंग के अनुरूप चार श्रेणियों में बांटा गया है।
ये हैं एक्सीलेंट, वेरी गुड, गुड और फेयर। छत्तीसगढ़ का अचानकमार टाइगर रिजर्व इस रैंकिंग की तीसरी श्रेणी गुड में है। बाकी दोनों फेयर यानी अंतिम श्रेणी में हैं। छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व को मिली रैंकिंग से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ के रिजर्व पिछड़ गए हैं। इस रिपोर्ट पर वन विभाग के प्रमुख मनोज पिंगुआ और पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल से भास्कर ने बातचीत की कोशिश की, पर वे उपलब्ध नहीं हुए। पूर्व पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ पीवी नरसिम्हाराव ने कहा कि बाघों के संरक्षण में वन विभाग ने बहुत मेहनत की है।
फीमेल की कमी संख्या बढ़ने में बड़ी बाधा – उपेंद्र दुबे, टाइगर एक्सपर्ट (डब्लूडब्लूएफ)
टाइगर गणना और प्रबंधन से जुड़ी एमआईआई के कई मापदंड हैं, जिस आधार पर रैंकिंग जारी हुई है। जैसे-राज्य में बाघों का संरक्षण, उनके लिए खाने की उपलब्धता, शाकाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी, बाघ संरक्षण के स्टाफ की योग्यता और इनका प्रशिक्षण। छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि यहां फीमेल टाइगर कम हैं। इस वजह से संख्या बढ़ने में बाधा है। छत्तीसगढ़ में फीमेल टाइगर लाने के प्रयास चल रहे हैं। ऐसा लगता है कि टाइगर संरक्षण के प्रबंधन में भी कुछ खामियां हैं।
2014 में 46 टाइगर, 2018 में 19 बचे, ताजा रिपोर्ट नहीं आई
अखिल भारतीय बाघ गणना-2014 की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 46 बाघ थे। 2018 की गणना में यह संख्या घटकर सिर्फ 19 रह गई। 2022 की रिपोर्ट इस माह के अंत तक या फिर विश्व बाघ दिवस के मौके पर जारी होगी।
टाइगर पर हर माह 5 करोड़ 7 साल में 413 करोड़ खर्च
बाघों के संरक्षण में राज्य सरकार हर महीने 5 करोड़ रुपए खर्च कर रही है, यानी साल में 60 करोड़ रुपए। पिछले विधानसभा सत्र में हुए सवाल पर यह बात आई कि छत्तीसगढ़ में पिछले 3 साल में बाघों के संरक्षण पर 184 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।