छत्तीसगढ़ के हास्य सम्राट पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे नहीं रहे: दिल का दौरा बना जीवन का विराम, अंतिम दर्शन में उमड़ा जनसैलाब – कुमार विश्वास ने जताया दुख, रमन सिंह बोले- ‘ब्लैक डायमंड’ चला गया

रायपुर, 27 जून 2025 — छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कवि और पद्मश्री सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनके निधन से साहित्य और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. राजधानी रायपुर स्थित मारवाड़ी श्मशान घाट पर आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आमजन और गणमान्य लोग उनके निवास पहुंच रहे हैं. चर्चित कवि डॉ. कुमार विश्वास भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रायपुर पहुंच चुके हैं.
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, वरिष्ठ मंत्री राम विचार नेताम, गृहमंत्री विजय शर्मा, मंत्री ओपी चौधरी और रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह सहित कई राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों ने डॉ. दुबे के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कुमार विश्वास ने साझा की भावुक यादें
प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने डॉ. सुरेंद्र दुबे को याद करते हुए बताया कि 1991 में उनकी पहली मुलाकात एक कवि सम्मेलन में हुई थी. “मैंने देखा कि कैसे बेमेतरा से दुर्ग और फिर रायपुर आकर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई,” उन्होंने कहा.
कुमार विश्वास ने बताया कि दो दिन पहले ही उन्होंने डॉ. दुबे के स्वास्थ्य के बारे में परिजनों से बात की थी. “आशु ने कहा था कि चाचा अब ठीक हैं, दो-तीन दिन में छुट्टी मिल जाएगी. लेकिन ये खबर हृदय विदारक है,” उन्होंने कहा.
उन्होंने आगे बताया, “मैंने उनके साथ अमेरिका, दुबई, लंदन और शाहजहांपुर जैसे शहरों में कार्यक्रम किए. चाहे किसी सभागार में छत्तीसगढ़ के 10 लोग ही क्यों न हों, वे मंच से हमेशा छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और खान-पान की बात करते थे. उनका जाना अपूरणीय क्षति है.”
रमन सिंह बोले – छत्तीसगढ़ ने खो दिया अपना ‘ब्लैक डायमंड’
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी भावुक होकर कहा, “कॉलेज के दिनों से हमारा संबंध रहा है, वे मुझसे एक वर्ष जूनियर थे. छत्तीसगढ़ में उनसे बड़ा कोई कलाकार नहीं था. ब्लैक डायमंड जैसा कोई नहीं. कल तक जो कविता से हंसा रहा था, आज चुप हो गया है. यह बेहद स्तब्ध कर देने वाली घटना है.”
डॉ. सुरेंद्र दुबे की पहचान न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में हास्य-व्यंग्य के शीर्ष कवि के रूप में रही. टीवी और मंचों पर उनकी प्रस्तुतियों ने लाखों दिलों को छुआ. उनका जाना छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है, जिसकी भरपाई आसान नहीं.
श्रद्धांजलि!
छत्तीसगढ़ की मिट्टी का वह लाल जिसने हास्य को जन-जन तक पहुंचाया, आज हमारे बीच नहीं है. लेकिन उनकी कविताएं, मंच पर गूंजती उनकी आवाज़ और छत्तीसगढ़ से उनका अटूट प्रेम उन्हें सदा जीवित रखेगा.