
रायपुर 23 जून 2025
प्रदेश सरकार मलेरिया जैसी घातक बीमारी पर निर्णायक प्रहार के लिए एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है। छत्तीसगढ़ में “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का 12वां चरण 25 जून 2025 से आरंभ हो रहा है, जिसके अंतर्गत मलेरिया प्रभावित व संवेदनशील क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर जांच, उपचार और जनजागरूकता गतिविधियां चलाई जाएंगी।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रभाव से प्रदेश के अत्यधिक मलेरिया-संवेदनशील क्षेत्र बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गई है। अभियान के प्रथम चरण में जहाँ बस्तर संभाग की मलेरिया सकारात्मकता दर 4.6 प्रतिशत थी, वह घटकर मात्र 0.46 प्रतिशत रह गई है। वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2024 में मलेरिया प्रकरणों में कुल 72 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं मलेरिया वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 27.40 से घटकर 7.11 पर आ गया है। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि प्रदेश ने मलेरिया नियंत्रण की दिशा में ठोस प्रगति की है। प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के समन्वित प्रयासों से वर्ष 2027 तक शून्य मलेरिया प्रकरणों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, ताकि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को मूर्त रूप में बदला जा सके।
इस बार अभियान का फोकस विशेष रूप से बस्तर संभाग के सभी सात जिले — बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव के साथ-साथ गरियाबंद, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई एवं कवर्धा जिलों के चिन्हांकित क्षेत्रों पर रहेगा। इन क्षेत्रों को मलेरिया की दृष्टि से अति संवेदनशील माना गया है।
16.77 लाख लोगों की होगी स्क्रीनिंग
अभियान के तहत प्रदेश के 10 जिलों के 36 विकासखंडों में फैले 2527 गांवों और 659 उपस्वास्थ्य केन्द्रों के अंतर्गत 2235 सर्वे दलों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये दल घर-घर जाकर लगभग 16 लाख 77 हजार लोगों की मलेरिया जांच करेंगे।
हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने के साथ-साथ मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर तत्काल उपचार एवं नियमित फॉलोअप की व्यवस्था की गई है। इस बार यह अभियान सिर्फ आंकड़ों की खानापूरी नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई का उदाहरण बनेगा।
अभियान का उद्देश्य केवल मलेरिया की जांच और उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि मच्छरों की उत्पत्ति को रोकना और लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है। इसी दिशा में अभियान के दौरान मच्छर लार्वा नियंत्रण, साफ-सफाई के उपाय और जल जमाव की रोकथाम पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही लॉन्ग लास्टिंग इंसेक्टिसाइडल नेट (एलएलआईएन) यानी दीर्घकालिक प्रभावी मच्छरदानी के उपयोग को लेकर लोगों को प्रशिक्षित एवं प्रेरित किया जाएगा, ताकि मलेरिया के संक्रमण की रोकथाम संभव हो सके।
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल का उद्देश्य मलेरिया के विरुद्ध प्रदेश को निर्णायक मोड़ पर लाना है। सरकार यह मानती है कि समय पर जांच, समुचित उपचार, मच्छरों की रोकथाम और जनजागरूकता के समन्वित प्रयासों से छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाया जा सकता है। यही नहीं, इस अभियान के जरिए प्रदेशवासियों को यह संदेश भी दिया जा रहा है कि मलेरिया जैसी बीमारी सटीक रणनीति और ठोस जनसहयोग से जड़ से समाप्त की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ अब इस लड़ाई को केवल दवाइयों के सहारे नहीं, बल्कि जनचेतना और ज़मीनी भागीदारी के बल पर जीतने को तैयार है। 25 जून से शुरू हो रहे इस अभियान के साथ एक बार फिर यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रदेश सरकार मलेरिया के खिलाफ युद्ध में पीछे हटने वाली नहीं है — और यह जंग तब तक जारी रहेगी, जब तक छत्तीसगढ़ पूरी तरह मलेरिया मुक्त नहीं हो जाता।