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प्रिंट, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया पर रखे पैनी नजर प्रचार का खर्च निर्वाचन व्यय में जोड़ा जाएगा

नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा निर्वाचन-2024 की घोषणा के साथ ही आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील हो गई है। इस दौरान अखबार और टीबी चैनलों में विज्ञापनों और पेड न्यूज की मॉनिटरिंग करने के साथ ही भारत निर्वाचन आयोग के दिशा – निर्देशों के अनुसार सोशल मीडिया पर भी पूरी नजर रखी जायेगी। प्रिंट, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया पर प्रचार का खर्च भी अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में जोड़ा जाएगा। अभी तक चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों के द्वारा अखबार में प्रकाशित कराए जाने वाले समाचार, विज्ञापन और अलग-अलग चैनल पर दिखाए जाने वाले विजुअल पर ही नजर रखी जाती थी। बदलते समय के साथ अब इस बार के लोकसभा निर्वाचन में सोशल मीडिया की पोस्ट को भी प्रचार का हिस्सा माना जाएगा। चुनाव के खर्चे में सोशल मीडिया का खर्च भी जोड़ा जाएगा।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इस बार के निर्वाचन में चुनाव खर्च की प्रक्रिया में सोशल मीडिया को भी शामिल कर दिया गया है। इसी तरह भ्रामक और गलत सूचनाएं और फेक न्यूज फैलाने वालों पर भी पूरी नजर रखी जायेगी और उन पर कार्यवाही भी की जायेगी। ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति का पता लगाकर कानूनी धाराओं के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणीकरण जिला स्तरीय एमसीएमसी कमेटी से कराया जाना अनिवार्य है। निर्वाचन दिवस और निर्वाचन दिवस से एक दिवस पूर्व यदि किसी प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापन जारी करना हो तो उसका भी पूर्ण प्रमाणीकरण कराया जाना अनिवार्य है। प्रमाणीकरण का आकार जिला स्तरीय एमसीएमसी द्वारा किया जाता है इसके अलावा जिला स्तरीय एमसीएमसी पेड न्यूज से संबंधित प्रकरण पर भी आवश्यक कार्यवाही करती है। पेड न्यूज के संदिग्ध प्रकरणों पर संबंधित अभ्यर्थी को नोटिस जारी करने हेतु रिटर्निंग अधिकारी को निर्देशित करती है एवं रिटर्निंग अधिकारी नोटिस में संबंध अभ्यर्थी को नोटिस जारी करता है । पेड न्यूज के संबंध में प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने भी प्रिंट मीडिया को एडवाइजरी जारी की है।

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Manish Tiwari

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