Madhya Pradesh

MP News: जिस नंदी द्वार से महाकाल महालोक में आएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री, वहां पत्थर का लट्टू गिरा

उज्जैन के महाकाल महालोक में अव्यवस्थाओं का आलम पसरा पड़ा है। खासकर 28 मई को आई आंधी ने तो जैसे कांग्रेस को बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है। दो जून को नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड नंदी द्वार से महाकाल लोक में प्रवेश करेंगे। इसी नंदी द्वार के ऊपर लगा पत्थर का लट्टू नीचे गिर गया। संयोग से उस समय पत्रकार कवरेज के लिए जुटे थे। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

गुरुवार दोपहर को महाकाल महालोक के मुख्य नंदी द्वार पर लगा लट्टू अचानक गिर गया। उस समय मीडियाकर्मी कवरेज करने पहुंचे थे। जब पत्रकार आगे बढ़े तब करीब दो-तीन किलो वजनी यह लट्टू गिरा। इससे नीचे टाइल्स टूट गई। महाकाल लोक मे कई स्थानों पर यह लट्टू लगे हैं। बताया जा रहा है कि अत्यधिक गर्मी की वजह से जिस केमिकल से इन्हें फिक्स किया था, वह पिघल रहा है। यदि यह लट्टू किसी पर गिरता तो वह गंभीर रूप से चोटिल हो सकता था। नंदी द्वार पर गिरे इस लट्टू ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इसी द्वार पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल नेपाल के प्रधानमंत्री का स्वागत करेंगे। इसके बाद परंपरा अनुसार इसी स्थान पर स्वस्तिवाचन भी होगा।

सिर्फ सप्तऋषि नहीं बल्कि कई मूर्तियों को हुआ है नुकसान
आंधी-तूफान से सप्तऋषि की प्रतिमाओं में टूट-फूट होने को लेकर बवाल मचा है। इतना ही नुकसान अन्य प्रतिमाओं को भी हुआ है। प्रतिमाओं का निरीक्षण करने पर पता चला कि भगवान कार्तिकेय की भाला पकड़े मूर्ति के हाथ का रंग खराब हो गया है। इसमें भी दरार है। कमलासन महालक्ष्मी की सबसे ऊंची तीन मूर्तियां पास-पास हैं। उस मूर्ति के कमल की पत्तियां जगह छोड़ चुकी हैं। भगवान शिव की प्रतिमा के हाथ में दरार आ गई है। गजासुरसंहार की प्रतिमा के बटुक भैरव ने बेस छोड़ दिया है। शिव प्रतिमा में हाथ उठाए शिव की मूर्ति के पैर और शेर की प्रतिमा में भी दरार है। शेर की प्रतिमा ने भी बेस छोड़ दिया है। मणिभद्र की नीचे लेटी प्रतिमा के पैर में भी दरार है। शिव बरात में शामिल कुछ बरातियों की मूर्तियों में दरारें दिख रही हैं। शिव जिस नंदी पर विराजमान है, उसमें दरार है। एक बराती के कमर, वस्त्रों में दरार है। शिव लीला की प्रतिमा में भगवान शिव की प्रतिमा पर तो सीने में ही दरार पड़ चुकी है। जिस बेस पर मूर्ति को रखा गया है, उसमें भी बड़ा गड्ढा है।

एक्सपर्ट ने बताया- खोखली थी मूर्तियां, इसलिए टूटी
इंदौर के मूर्ति कलाकार सुंदर गुर्जर और अन्य कलाकारों ने महाकाल महालोक का निरीक्षण किया। गुर्जर ने कहा कि किसी भी मूर्ति को बनाने से पहले मटेरियल की इंजीनियर और अन्य अधिकारी जांच करते हैं। 10 फीट से ऊंची प्रतिमाओं के लिए हवा का प्रेशर देखना जरूरी है। उन्हें मजबूती देने के लिए मसाला और कंक्रीट भरा जाता है। स्ट्रक्चर को मजबूत करते हैं। जब प्रतिमाएं नीचे गिरी तो पता चला कि इन्हें फिक्स नहीं किया था। इनके नीचे कोई स्ट्रक्चर ही नहीं है। इन मूर्तियों में ग्लासमेट जीएसएम 100 ग्राम का उपयोग हुआ है। इसके स्थान पर 450 ग्राम की तीन लेयर यानी 1350 ग्राम लगना था। इन मूर्तियों की बाहरी परत भी पतली थी। उन्हें कम से कम 8 एमएम का होना था। उसे सिर्फ दो-तीन एमएम का रखा था। टूटी मूर्तियों की गर्दन से यह पता चलता है।

कमलनाथ की मांग- किसी हाईकोर्ट जज से कराई जाए जांच
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भगवान महाकाल समस्त हिंदू समाज की आस्था का केंद्र हैं। जिस तरह से महाकाल लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियां गिरी और अब अन्य देव प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचने के समाचार भी सामने आ रहे हैं, वैसे में शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह मामले की लीपापोती करने का नजर आ रहा है। मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने के बजाय शिवराज सरकार के मंत्री बिना जांच के ही अपनी सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि महाकाल लोक घोटाले की जांच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए। अगर सरकार कांग्रेस की यह मांग स्वीकार नहीं करती तो जनता में स्पष्ट संदेश जाएगा कि शिवराज सरकार की मानसिकता हिंदुओं की आस्था पर चोट करने की और घोटालेबाजों को पूर्ण संरक्षण देने की है। उधर, उज्जैन में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रवि भदौरिया ने कहा कि हम दस सदस्यीय दल लेकर आए थे। हमने पूरे महाकाल महालोक का भ्रमण किया। जो लट्टू गिरा है, वह बताता है कि क्या हालात है। यह किसी पर भी गिर सकता था। यह तो हादसों को न्योता देना है। बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में विस्तृत जांच होनी चाहिए। भ्रष्ट लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए

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Manish Tiwari

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