राजस्व निरीक्षक परीक्षा घोटाले पर सदन में हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट – भूपेश बघेल बोले- कराओ CBI जांच

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में अनियमितता का मुद्दा गरमाया रहा। भाजपा विधायक राजेश मूणत, अजय चंद्राकर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तीखे सवालों पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा घिरते नजर आए। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और अंततः सदन से वॉकआउट कर दिया।
भाजपा विधायक राजेश मूणत ने आरोप लगाया कि विभागीय परीक्षा में भारी गड़बड़ी हुई। उन्होंने सवाल किया कि गृह विभाग की जांच का क्या हुआ, दोषियों पर कार्रवाई कब होगी और कुल कितने परीक्षार्थी शामिल हुए थे? मूणत ने आरोप लगाया कि परीक्षा में सगे संबंधियों को पास कराने की कोशिश हुई और भाई-भाई, साली-जीजा एक साथ बैठे पाए गए।
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब में कहा कि परीक्षा की प्रक्रिया पिछली सरकार के समय शुरू हुई थी, लेकिन रिजल्ट आने के बाद अनियमितता की शिकायत मिली। 5 सदस्यीय जांच समिति बनाई गई, जिसने गड़बड़ी की पुष्टि की। मंत्री ने कहा कि जांच में कुछ लोग एक साथ बैठे पाए गए थे और मामला अब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंप दिया गया है। कॉल डिटेल समेत अन्य तकनीकी जांच जारी है, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस पर मूणत ने पलटवार करते हुए कहा कि मंत्री आधा सच पढ़कर सुना रहे हैं, अगर चाहें तो वे जांच रिपोर्ट को सदन में रख सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब गड़बड़ी साबित हो चुकी है तो कार्रवाई में देरी क्यों?
वहीं, विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल उठाया कि इओडब्ल्यू जांच का निर्णय किसने लिया? क्या विभागीय स्तर पर इसकी अनुमति ली गई थी? इस पर मंत्री वर्मा ने जवाब दिया कि जांच का निर्णय विभाग ने ही लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूछा कि परीक्षा भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुई या पहले? इस पर मंत्री ने बताया कि परीक्षा जनवरी 2024 में हुई थी और परिणाम फरवरी में आया। इस जवाब के बाद विपक्ष ने हंगामा करते हुए भाजपा सरकार पर ही परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगाए।
भूपेश बघेल ने सवाल उठाया कि क्या सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है और क्या सीबीआई से जांच कराई जाएगी? इस पर भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पलटकर पूछा कि क्या बघेल को सीबीआई पर भरोसा है?
विवाद बढ़ता देख विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। सदन में इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।