स्मार्ट सिटी ठगी कांड: पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी केके श्रीवास्तव पुलिस रिमांड पर, 300 करोड़ के ट्रांजेक्शन से हड़कंप, ईडी और ईओडब्ल्यू कर रहे जांच

रायपुर, 28 जून 2025 स्मार्ट सिटी और नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) में 500 करोड़ रुपए के फर्जी प्रोजेक्ट दिलाने का झांसा देकर दिल्ली के कारोबारी से 15 करोड़ की ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार केके श्रीवास्तव को तेलीबांधा पुलिस ने 1 जुलाई तक रिमांड पर लिया है। श्रीवास्तव को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है।
जांच में सामने आया है कि श्रीवास्तव ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के बैंक खातों का उपयोग कर करीब 300 करोड़ रुपए का संदिग्ध लेन-देन किया है। यह पूरा पैसा ‘कर्ज’ के नाम पर लिया गया बताया जा रहा है।
भोपाल से पकड़ा, बनारस से बेटा हिरासत में
20 जून की रात को श्रीवास्तव को भोपाल से गिरफ्तार किया गया, जहां वह हुलिया बदलकर छिपा हुआ था। वहीं, उसका बेटा कंचन श्रीवास्तव बनारस से हिरासत में लिया गया, हालांकि पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया।
ईडी और ईओडब्ल्यू की अलग-अलग जांच
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केके श्रीवास्तव से तीन दिनों तक पूछताछ की और 300 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन में मनी लॉन्ड्रिंग का क्लू मिलने की पुष्टि की है। हालांकि ईडी ने उसे गिरफ्तार नहीं किया है।
इधर, आबकारी घोटाले में भी ईओडब्ल्यू ने केके और उसके बेटे कंचन से लंबी पूछताछ की है। पूछताछ के बाद दोनों को तेलीबांधा पुलिस को सौंपा गया है।
कारोबारी से ठगी, फिर धमकी
श्रीवास्तव ने अशोक रावत, मालिक रावत एसोसिएट्स (दिल्ली), से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में काम दिलाने के नाम पर 15 करोड़ लिए। जब वादा पूरा नहीं हुआ तो कारोबारी ने पैसे वापस मांगे। 3.40 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के बाद श्रीवास्तव ने तीन-तीन करोड़ के चेक दिए, जो बाद में स्टॉप पेमेंट की श्रेणी में डाल दिए गए।
कारोबारी ने जब दोबारा संपर्क किया तो श्रीवास्तव ने नक्सलियों और राजनीतिक रसूखदारों से संबंध बताकर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद एफआईआर दर्ज हुई।
रायपुर के 41 सिम नंबरों से देशभर में 18.52 लाख की साइबर ठगी
एक अन्य मामले में रायपुर से जारी 41 मोबाइल नंबरों के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में 18.52 लाख रुपए की ठगी की जा चुकी है।
केंद्र सरकार को Co-WIN समन्वय पोर्टल पर इन नंबरों के खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद रायपुर पुलिस को पत्र भेजकर कार्रवाई करने को कहा गया।
जांच में सामने आया है कि इन नंबरों का इस्तेमाल कर झारखंड की तर्ज पर साइबर ठगी का नेटवर्क फैलाया जा रहा है।
म्यूल अकाउंट की तर्ज पर सिम बिक्री का शक
पुलिस को शक है कि ये मोबाइल सिम कार्ड 10-15 हजार रुपए में बेचे गए हैं, जैसे म्यूल अकाउंट बेचे जाते हैं। यह भी जांच की जा रही है कि जिनके नाम पर सिम कार्ड हैं, क्या उन्हें इसकी जानकारी है या नहीं।
क्या पता कर रही पुलिस?
- सिम कार्ड के एक्टिवेशन की तारीख
- जमा दस्तावेजों की जांच
- क्या बैंक खातों से लिंक कर पैसे निकाले गए?
- टेलीकॉम कंपनियों से सटीक जानकारी मांगी गई
रायपुर पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है।
यह मामला छत्तीसगढ़ में बड़े साइबर और आर्थिक अपराध नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जिसकी जड़ें राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों तक फैली हो सकती हैं।