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एचआईवी मरीजों की पहचान अब होगी पूरी तरह गोपनीय, अस्पतालों के लिए सरकार ने जारी की सख्त गाइडलाइन

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने अस्पतालों में इलाज के दौरान एचआईवी मरीजों की पहचान और व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। यह गाइडलाइन तत्काल प्रभाव से सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लागू कर दी गई है।

स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की जानकारी केवल इलाज करने वाले डॉक्टर या नियंत्रण अधिकारी तक ही सीमित रहेगी। फाइल, रजिस्टर या कंप्यूटर रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार का विशेष चिह्न नहीं लगाया जाएगा।

गोपनीयता सर्वोच्च: पहचान उजागर करने पर कार्रवाई

नाको की 2018 की अधिसूचना के अनुरूप राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि एचआईवी/एड्स से जुड़े सभी चिकित्सीय, व्यक्तिगत और पहचान संबंधी विवरण पूर्णत: गोपनीय रखे जाएं।

  • ऑपरेशन या डिलीवरी के समय सुरक्षा कारणों से मेडिकल टीम को आवश्यक जानकारी दी जा सकती है, लेकिन मरीज का नाम गुप्त रखा जाएगा।
  • मरीज की स्थिति पर चर्चा, प्रचार या सार्वजनिक प्रदर्शित करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  • दस्तावेज, रजिस्टर और रिपोर्ट सुरक्षित स्थान पर रखे जाएंगे और केवल अधिकृत अधिकारी की अनुमति से ही उपलब्ध होंगी।

गोपनीयता भंग करने पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अनिवार्य होगी।

संक्रमण रोकथाम के लिए सख्त नियम

स्वास्थ्य कर्मियों को यूनिवर्सल प्रीकॉशन्स (Universal Precautions) का पालन करना होगा।

  • रक्त, सुई, ब्लेड या किसी भी शारीरिक द्रव के संपर्क से बचने के लिए दस्ताने, मास्क, एप्रन और सेफ्टी गॉगल्स का उपयोग अनिवार्य है।
  • उपयोग के बाद सुइयों को निडिल डेस्ट्रॉयर या शार्प कंटेनर में ही नष्ट किया जाएगा।
  • किसी भी हालत में सुई या ब्लेड दोबारा इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे।

इसके अलावा अस्पतालों में उपकरणों का स्टरलाइजेशन और बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन अनिवार्य कर दिया गया है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन केवल पूरी तरह स्क्रीन किए गए रक्त से ही किया जाएगा। इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी को हर माह निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करनी होगी।

आंबेडकर अस्पताल प्रकरण के बाद सख्ती

हाल ही में आंबेडकर अस्पताल में एक शिशु के बेड के पास ‘एचआईवी मदर’ का बोर्ड लगाने का मामला सामने आया था। मीडिया में प्रकरण उजागर होने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और पीड़ित महिला को दो लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए। अस्पताल प्रबंधन ने अगले ही दिन चेक सौंप दिया।

राज्य सरकार की यह गाइडलाइन अस्पतालों में एचआईवी मरीजों की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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Manish Tiwari

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