बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा का बड़ा कदम: बाल श्रम रोकथाम हेतु छत्तीसगढ़ में हर 3 माह में चलेगा सात दिवसीय छापामार अभियान

रायपुर, 21 अप्रैल 2025
छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने अपने कार्यकाल के दूसरे ही दिन बाल श्रम उन्मूलन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में नियमित अंतराल पर छापामार कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, समस्त कलेक्टरों एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
डॉ. शर्मा ने अनुशंसा पत्र क्रमांक 35, दिनांक 21 अप्रैल के माध्यम से आठ प्रमुख बिंदुओं पर सख्त और सुनियोजित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि बाल श्रम की रोकथाम एक दिन का नहीं, बल्कि सतत प्रक्रिया है। इस उद्देश्य से अप्रैल 2025 से प्रत्येक तीन माह में प्रदेशव्यापी सात दिवसीय छापामार अभियान चलाने के आदेश दिए गए हैं।
छापेमारी अभियान के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई, संबंधित थाना और जिला पुलिस प्रशासन को सम्मिलित करते हुए संयुक्त टीम बनाई जाएगी। अभियान के दौरान जो बच्चे बाल श्रम में पाए जाएंगे, उन्हें आवश्यकता अनुसार देखभाल एवं संरक्षण हेतु बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, डॉ. शर्मा ने निर्देशित किया है कि अभियान के दौरान राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर लागू समस्त मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का कड़ाई से पालन किया जाए।
डॉ. शर्मा ने अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस (12 जून 2025) को सार्थक बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इस दिन प्रत्येक जिले में कलेक्टर के समक्ष जिला श्रम अधिकारी द्वारा जिले में बाल श्रम की स्थिति का प्रस्तुतिकरण किया जाए।
बाल श्रमिकों की पहचान और सूचना देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए श्रमायुक्त कार्यालय अथवा राज्य मुख्यालय में एक टोल फ्री नंबर शुरू करने की भी अनुशंसा की गई है।
बाल श्रम के मूल कारणों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि बचाए गए बच्चों के परिवारों को आजीविका के लिए त्वरित रोजगार मुहैया कराया जाए, जिसके लिए जिला कलेक्टोरेट स्तर पर “एकल खिड़की व्यवस्था” लागू की जाए।
डॉ. वर्णिका शर्मा की इस पहल को राज्य में बाल अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सशक्त और निर्णायक कदम माना जा रहा है।