छत्तीसगढ़ नान घोटाला: डॉ. रमन सिंह सरकार में हुए भ्रष्टाचार की CBI जांच तेज, अनिल टूटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा पर FIR

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले की जांच एक बार फिर तेज हो गई है। CBI ने इस मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए जेल में बंद सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा, पूर्व प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला और हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
सीबीआई की टीम ने हाल ही में रायपुर स्थित अनिल टूटेजा के निवास पर करीब 5 घंटे तक तलाशी अभियान चलाया था। इस छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की जांच की गई।
इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर
सीबीआई ने इन तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182 (झूठी सूचना), 211 (झूठा आरोप), 193 (झूठी गवाही), 195A (गवाह को धमकाना), 166A (लोक सेवक का पद का दुरुपयोग), 120B (षड़यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं 7, 7(A), 8, 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है।
वाट्सएप चैट की जांच के लिए FIR
CBI ने वाट्सएप चैट की जांच को आधार बनाकर भी अलग से एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा दर्ज पुरानी FIR के आधार पर की गई है।
क्या है नान घोटाला मामला?
2015 में उजागर हुए इस घोटाले में नागरिक आपूर्ति निगम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, घोटाला और राजनीतिक संरक्षण के आरोप लगे थे। आरोपियों पर गवाहों को प्रभावित करने और आपराधिक षड़यंत्र रचने के आरोप लगे हैं। करीब 5 महीने पहले ईओडब्ल्यू ने इसी आरोप में केस दर्ज किया था। 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
CBI की ताजा कार्रवाई से इस घोटाले में फंसे प्रमुख अफसरों और पूर्व अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।