“₹100 रिश्वत के झूठे केस ने बरबाद कर दी पूरी जिंदगी! रायपुर के जागेश्वर 39 साल बाद बरी, पत्नी का साथ छूटा, बच्चे अनपढ़ रह गए और बुढ़ापा गरीबी में कटा”

रायपुर, 23 सितंबर 2025 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 39 साल पुराने ₹100 के रिश्वत मामले में रायपुर के 83 वर्षीय जागेश्वर प्रसाद अवधिया को निर्दोष करार दिया है। मध्यप्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MPSRTC) में बिल सहायक रहे अवधिया पर साल 1986 में रिश्वत लेने का आरोप लगा था।
24 अक्टूबर 1986 को एक कर्मचारी ने जबरन उनकी जेब में 100 रुपए डाल दिए और तभी लोकायुक्त की टीम ने उन्हें पकड़ लिया। मौके पर कैमिकल लगे नोटों को सबके सामने लहराया गया और ईमानदार कर्मचारी को रिश्वतखोर करार दे दिया गया।
इसके बाद अवधिया की जिंदगी बर्बाद हो गई। 1988 से 1994 तक सस्पेंड रहे, फिर रीवा ट्रांसफर कर दिए गए। आधी तनख्वाह पर काम करना पड़ा, प्रमोशन और इंक्रीमेंट रुक गए। पत्नी तनाव में चल बसीं और चार बच्चों की पढ़ाई छूट गई।
रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी नहीं मिली। गुजारे के लिए चौकीदारी और छोटे-मोटे काम करने पड़े। 39 साल तक अदालतों के चक्कर लगाते-लगाते जवानी से बुढ़ापा आ गया।
2004 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराकर एक साल जेल और 1000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हाईकोर्ट में अपील की। आखिरकार चार दशक बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया।
अवधिया कहते हैं— “हां, मैं बरी हो गया हूं, लेकिन मेरी जिंदगी तबाह हो चुकी है। पत्नी, बच्चों का भविष्य और मेरी जवानी सब इस केस की भेंट चढ़ गया। न्याय में इतनी देरी, न्याय नहीं मिलने के बराबर है।”
उनका बेटा नीरज अवधिया भावुक होकर कहता है— “हमारा बचपन अदालतों और समाज के तानों में बीता। पापा का नाम तो साफ हो गया, लेकिन हमारी जिंदगी कभी साफ नहीं हो पाई।”
अब 83 साल के जागेश्वर प्रसाद सरकार से सिर्फ यही उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें पेंशन और बकाया रकम मिल जाए, ताकि आखिरी दिनों में उन्हें सुकून मिल सके।
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