
रायपुर, 16 दिसंबर 2025।छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर अपनी अलग पहचान बनाई। बिलासपुर जिले की सांस्कृतिक संस्था लोक श्रृंगार भारती के गेड़ी लोकनृत्य दल ने नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में शानदार प्रस्तुति देकर देश-विदेश के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह आयोजन यूनेस्को और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के आमंत्रण पर 7 से 13 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय समारोह के तहत हुआ, जिसमें 180 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
गेड़ी नर्तकों के साहसिक, ऊर्जावान और भावपूर्ण प्रदर्शन को यूनेस्को सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने खूब सराहा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दल को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कलाकारों से विशेष रूप से प्रभावित नजर आए और मंच से “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” का नारा देकर उनका उत्साहवर्धन किया।
इस समारोह का एक ऐतिहासिक क्षण तब आया, जब दीपावली को यूनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी गई। इस उपलब्धि के जश्न में छत्तीसगढ़ के गेड़ी नृत्य दल की प्रस्तुति को विशेष स्थान मिला।
मुख्य गायक एवं नृत्य निर्देशक अनिल गढ़ेवाल के नेतृत्व में प्रस्तुत कार्यक्रम में “काट ले हरियर बांस” गीत ने विदेशी प्रतिनिधियों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति गहरी रुचि जगाई। मांदल वादक मोहन डोंगरे के अनूठे वादन, हारमोनियम पर सौखी लाल कोसले और बांसुरी पर महेश नवरंग की स्वर लहरियों पर कई देशों के प्रतिनिधि झूमते नजर आए।
गेड़ी नर्तक प्रभात बंजारे, सूरज खांडे, शुभम भार्गव, लक्ष्मी नारायण माण्डले, फूलचंद ओगरे और मनोज माण्डले ने एक गेड़ी पर संतुलन बनाकर मानवीय संरचनाएं रचते हुए दर्शकों से खूब तालियां बटोरीं।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा, कौड़ियों व चीनी मिट्टी की मालाएं, पटसन वस्त्र और मयूर पंखों से सजी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को और भी आकर्षक बना दिया। यूनेस्को के महानिदेशक खालिद एन. एनानी सहित 180 देशों के प्रतिनिधियों ने कलाकारों के साथ स्मृति चित्र लिए और छत्तीसगढ़ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक पहचान दिलाने के लिए दल को शुभकामनाएं दीं।



