कान्हा–बांधवगढ़ से छत्तीसगढ़ आ रहे 6 बाघ :दो बड़े टाइगर रिजर्व में बसाहट की तैयारी पूरी–24 घंटे निगरानी, गांवों में अलर्ट शुरू

रायपुर, 24 नवंबर 2025/ छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व—गुरु घासीदास-तमोर पिंगला और उदंती-सीतानदी (यूएसटीआर)—एक बार फिर बाघों की मौजूदगी से गुलजार होने वाले हैं। मध्यप्रदेश से कुल छह बाघों को लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुँच गई है। इसके लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग की टीम जल्द ही कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व रवाना होगी।
दोनों राज्यों के वन विभागों और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद तैयारी तेज कर दी गई है। पिछले कई महीनों से विशेषज्ञों की टीमों ने दोनों राज्यों के जंगलों का विस्तृत सर्वे किया था।
✦ किन–किन बाघों को लाया जाएगा?
- कान्हा टाइगर रिजर्व से
- 1 नर बाघ
- 2 मादा बाघिन
इन्हें यूएसटीआर में छोड़ा जाएगा।
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से
- 3 बाघिन
इन्हें गुरु घासीदास–तमोर पिंगला रिजर्व में बसाया जाएगा।
- 3 बाघिन
✦ 24 घंटे निगरानी: हर बाघ पर रहेगा रियल-टाइम ट्रैकिंग
बाघों की सुरक्षित बसाहट सुनिश्चित करने के लिए दोनों रिजर्वों में विशेष प्रबंध किए गए हैं—
- प्रत्येक बाघ को लगाया जाएगा कॉलर आईडी, ताकि लोकेशन और मूवमेंट की लाइव मॉनिटरिंग हो सके।
- जंगलों में शिकार व जल स्रोतों की उपलब्धता, घासभूमि का विकास और सुरक्षित कॉरिडोर पर खास ध्यान।
- गश्त मजबूत करने के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट की तैनाती।
- शिकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर।
✦ गांवों में जागरूकता अभियान
बाघों के आगमन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह के साथ जिज्ञासा भी बढ़ी है।
वन विभाग ग्रामीणों को समझा रहा है—
- वन्यप्राणियों से दूरी बनाए रखने,
- मानव–वन्यजीव संघर्ष से बचाव,
- आपात स्थिति में तुरंत सूचना देने
जैसी महत्वपूर्ण बातें।
✦ छत्तीसगढ़ में वर्तमान में चार टाइगर रिजर्व
- इंद्रावती टाइगर रिजर्व
- उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व
- अचानकमार टाइगर रिजर्व
- तमोर–पिंगला टाइगर रिजर्व
इसके अलावा बार–नवापारा अभयारण्य में भी जल्द बाघ बसाने की तैयारी चल रही है।
✦ क्यों चुने गए ये दो रिजर्व?
गुरु घासीदास–तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ का नया लेकिन अत्यधिक संभावनाशील जंगल माना जाता है।
- विशाल वनक्षेत्र
- पर्याप्त शिकार
- अनुकूल भू–भाग
ये सब मिलकर इसे बाघों के दीर्घकालिक निवास के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
वहीं यूएसटीआर में बाघों की संख्या बढ़ने से क्षेत्र की जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण मिशन को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
बाघों की यह बड़ी शिफ्टिंग छत्तीसगढ़ के वन एवं वन्यजीव प्रबंधन के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है। वन विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम राज्य को टाइगर आबादी के नए नक्शे पर आगे बढ़ा सकता है।



