खरोरा की मोजो मशरूम फैक्ट्री में फिर बड़ा खुलासा : छापा, बचाए 109 मासूम मजदूर – जहरीले केमिकल के बीच 15-15 बच्चे एक कमरे में रहते मिले

रायपुर/खरोरा। छत्तीसगढ़ की मोजो मशरूम फैक्ट्री से एक बार फिर बाल मजदूरी का भयावह मामला सामने आया है। दिल्ली से आई मानवाधिकार आयोग की टीम ने महिला बाल विकास विभाग व पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए 109 बच्चों को बंधन-मुक्त कराया।
इनमें 68 बच्चियां व 41 बच्चे शामिल हैं। सभी को माना स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया है, जहां उनकी काउंसलिंग जारी है।
कैसे हो रहा था बच्चों का शोषण – बच्चों ने बताए फैक्ट्री के अंदर की स्थिति
रेस्क्यू किए गए बच्चों ने बातचीत में बताया कि—
- एक कमरे में 10 से 15 बच्चे ठूंसकर रखे जाते थे।
- कई बच्चे 3 महीने से लेकर 3 साल तक वहीं फंसे हुए थे।
- मारपीट, लड़कियों से छेड़खानी, और मजदूरी न देना रोज की बात थी।
- पैसे मांगने पर ठेकेदार जान से मारने की धमकी देते थे।
- सुबह 4-5 बजे से लेकर देर रात तक काम कराया जाता था।
- खाना सिर्फ दो वक्त, वह भी बेहद खराब गुणवत्ता का मिलता था।
- बच्चों के पास पीने के लिए बर्तन तक नहीं, दीवार पर टंगी पॉलिथिन में छेद कर पानी पीना पड़ता था।
जहरीला केमिकल – कैंसर तक होने का खतरा
टीम के अधिकारियों ने बताया कि फैक्ट्री में बच्चे जिन कामों में लगे थे, उनमें फॉर्मलीन केमिकल का ज्यादा उपयोग हो रहा था।
यह कैमिकल इतना जहरीला था कि पास जाने पर आंखों में जलन होने लगी।
लंबे समय तक संपर्क में रहने पर बच्चों को गंभीर बीमारियां, यहां तक कि कैंसर का खतरा भी था।
ठेकेदारों ने दोबारा फंसाया – कुछ बच्चे जुलाई में भी बचाए गए थे
काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि कई बच्चे वही हैं जिन्हें जुलाई 2025 में इसी फैक्ट्री से बचाया गया था।
ठेकेदार उन्हें काम दिलाने के बहाने वापस ले आए और फिर बंद करा दिया।
ये बच्चे असम, झारखंड, ओडिशा, यूपी, एमपी और पश्चिम बंगाल से हैं।
प्रत्येक राज्य में अलग-अलग ठेकेदार बाल मजदूरों की सप्लाई कर रहे थे।
पिछली कार्रवाई क्यों फेल हुई?
जुलाई में 90 से अधिक बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। फैक्ट्री संचालक विश्वजीत राणा और ठेकेदारों पर एफआईआर हुई थी।
मामला लेबर कोर्ट में गया, लेकिन फॉलो-अप न होने के कारण कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई।
इस बार श्रम विभाग ने कहा—
“हमें इस कार्रवाई की जानकारी नहीं थी। शिकायत आएगी तो कार्रवाई करेंगे।”
मानवाधिकार आयोग की प्लानिंग के बाद फिर छापा
सूचना मिलने के बाद मानवाधिकार आयोग की टीम ने फैक्ट्री की रेकी की और संयुक्त छापा डालकर 109 बच्चों को सुरक्षित निकाला।
लगातार दो बार बाल मजदूरी – प्रशासन पर उठे सवाल
कुछ महीनों के भीतर दो बार इतने बड़े पैमाने पर बाल मजदूरी का खुलासा प्रशासनिक लापरवाही की गंभीर तस्वीर दिखाता है।
केस कोर्ट में लंबित, विभागों का ढीला रवैया और फैक्ट्री में फिर वही हालात — पूरे सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े करते हैं।



