खनिजों से चमक रहा छत्तीसगढ़: 25 साल में 34 गुना बढ़ा राजस्व, विष्णु देव साय सरकार का हरित विकास मॉडल बना देश के लिए मिसाल

रायपुर, 23 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ अब केवल हरियाली और संस्कृति का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत की खनिज राजधानी के रूप में नई पहचान बना चुका है। राज्य की धरती में छिपे खनिज भंडार अब प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। खनिजों के विवेकपूर्ण दोहन से प्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में खनिज क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है।
राज्य गठन के समय जहां खनिज राजस्व मात्र 429 करोड़ रुपये था, वहीं आज यह बढ़कर 14 हजार 592 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है — यानी 25 साल में 34 गुना वृद्धि! यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ सरकार के वन और पर्यावरण संरक्षण के संतुलित दृष्टिकोण के कारण और भी उल्लेखनीय मानी जा रही है।
🌿 पर्यावरण के साथ विकास का संतुलन
1980 से अब तक वनसंरक्षण अधिनियम के तहत केवल 28,700 हेक्टेयर भूमि ही खनन के लिए स्वीकृत की गई है, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का मात्र 0.47% और कुल भू-भाग का 0.21% है।
खनन क्षेत्रों में कटाई के साथ 5 से 10 गुना वृक्षारोपण को अनिवार्य करने के परिणामस्वरूप राज्य के वन क्षेत्र में 68,362 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है — जो देश में सर्वाधिक है।
💼 युवाओं के लिए रोजगार और विकास के नए अवसर
खनिज क्षेत्र से मिले राजस्व ने प्रदेश को आर्थिक मजबूती दी है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने खनिज संपदा के दोहन को जनहित और पर्यावरणीय संतुलन से जोड़ते हुए “खनिज से विकास” का नया मॉडल तैयार किया है।
🔥 ऊर्जा का केंद्र: कोयला उत्पादन में देश में दूसरा स्थान
छत्तीसगढ़ के पास 74,192 मिलियन टन कोयला भंडार है, जो भारत के कुल भंडार का 20.53% है।
राज्य देश का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है, जिसकी राष्ट्रीय हिस्सेदारी 20.73% है। कोयला यहां के ताप विद्युत संयंत्रों, सीमेंट, इस्पात और लघु उद्योगों के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
⚙️ लौह अयस्क – इस्पात उद्योग की रीढ़
कबीरधाम से लेकर बैलाडीला तक फैले पर्वतों में 4,592 मिलियन टन लौह अयस्क भंडार मौजूद है।
राष्ट्रीय उत्पादन में छत्तीसगढ़ का योगदान 16.64% है।
एनएमडीसी की बैलाडीला और दल्ली-राजहरा खदानें देश के इस्पात उद्योग की जीवनरेखा हैं।
🏗️ बाक्साइट, चूना पत्थर और टिन में अग्रणी
- बाक्साइट – 992 मिलियन टन भंडार, जो देश का 20% है।
- चूना पत्थर – 13,211 मिलियन टन भंडार, राष्ट्रीय उत्पादन में 11% योगदान।
- टिन अयस्क – देश का 100 प्रतिशत उत्पादन छत्तीसगढ़ में, जो रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए अहम है।
💎 स्वर्ण और हीरा की संभावनाएं
गरियाबंद जिले के बेहराडीह और पायलीखंड में हीरा के प्रमाणित भंडार मिले हैं, जबकि बलौदाबाजार के सोनाखान क्षेत्र में लगभग 2780 किलोग्राम स्वर्ण भंडार का अनुमान है। जशपुर, महासमुंद और कांकेर जिलों में भी सोना और हीरा खनिज की संभावनाएं हैं।
🧱 गौण खनिजों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल
रेत, मुरम, ईमारती पत्थर, मिट्टी और ग्रेनाइट जैसे 37 प्रकार के गौण खनिजों की खुदाई लगभग हर जिले में होती है।
इनसे जिला पंचायतों और नगर निकायों को सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, जिससे ग्रामीण विकास कार्यों को गति मिलती है।
💧 डीएमएफ से जनता तक विकास
खनन प्रभावित क्षेत्रों में जिला खनिज न्यास (DMF) के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और सड़कों जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इससे स्थानीय जनता को खनिजों के लाभ का सीधा हिस्सा मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ मॉडल अब देश के लिए एक सस्टेनेबल ग्रोथ मॉडल बन चुका है, जहां विकास और हरियाली विरोधी नहीं बल्कि पूरक हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य ने यह साबित कर दिया है कि नीति में दूरदृष्टि और क्रियान्वयन में संवेदनशीलता हो, तो खनिज संपदा केवल जमीन के नीचे नहीं, बल्कि जनजीवन की समृद्धि में भी झलकती है।