दीपावली पर ‘संगिनी’ का धमाका — बिहान की दीदियों ने बनाए आकर्षक गिफ्ट हैम्पर, 2 लाख तक की कमाई से खुशियां दोगुनी

रायपुर, 17 अक्टूबर 2025/दीपावली के त्यौहार पर जहां बाजारों में रौनक है, वहीं सक्ती जिले की ग्रामीण महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखी है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत ग्राम पलाड़ीखुर्द की राधा कृष्ण स्व-सहायता समूह की दीदियाँ अपने “संगिनी ब्रांड” के अंतर्गत सुंदर और सुगंधित गिफ्ट हैम्पर तैयार कर रही हैं। इन हैम्पर्स में डिज़ाइनर और सुगंधित मोम उत्पाद शामिल हैं, जो इस दिवाली लोगों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
💫 महिलाओं की सशक्तिकरण और रोजगार सृजन की दिशा में अनूठी पहल
यह पहल ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और स्थायी आजीविका के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोल रही है। सक्ती जिला प्रशासन द्वारा समूह की दीदियों को उत्पाद निर्माण, पैकेजिंग और विपणन में निरंतर सहयोग व प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
समूह की सदस्य पुष्पा दीदी ने बताया कि त्योहारों को ध्यान में रखते हुए वे राखी, रंगोली, आचार, गुलाल और मोम उत्पाद जैसी विविध वस्तुएं तैयार करती हैं। “इन गतिविधियों से हमें न केवल आर्थिक लाभ मिला है, बल्कि आत्मविश्वास और समाज में पहचान भी मिली है,” उन्होंने कहा।
💰 2 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद
पुष्पा दीदी ने बताया कि समूह की सदस्यों ने आर-सेटी से डिज़ाइनर कैंडल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। बाद में यूट्यूब से प्रेरणा लेकर उन्होंने गिफ्ट हैम्पर तैयार करने की शुरुआत की। इस समय जिले की विभिन्न इंडस्ट्रीज़ और संस्थानों से उन्हें ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं।
दीदियों को अब तक लगभग ₹60,000 के ऑर्डर मिल चुके हैं और अनुमान है कि यह पहल त्योहारी सीजन में ₹1.5 से ₹2 लाख तक का व्यवसाय दे सकती है।
🌸 आत्मनिर्भरता और नवाचार की मिसाल
“संगिनी” ब्रांड की यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, बल्कि उनकी सृजनशीलता और उद्यमशीलता की भावना को भी बढ़ावा दे रही है। बिहान मिशन के तहत ग्रामीण महिलाएं अब अपने उत्पादों को स्थानीय बाजारों के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंचाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही हैं।
यह प्रयास यह सिद्ध करता है कि जब ग्रामीण महिलाओं को सही प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और अवसर मिलते हैं, तो वे आत्मनिर्भरता और नवाचार की नई मिसाल बन सकती हैं। “संगिनी” की यह पहल न केवल सक्ती बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के महिला समूहों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।