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दुर्ग नन केस में आज NIA कोर्ट सुनाएगा फैसला : ह्यूमन ट्रैफिकिंग के आरोपों पर देशभर में बवाल, संसद से सड़क तक गूंजा मामला, जानें 9 दिनों में अब तक क्या क्या हुआ?

बिलासपुर/दुर्ग, 02 अगस्त 2025
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में गिरफ्तार की गई दो कैथोलिक ननों प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस की जमानत याचिका पर आज बिलासपुर NIA कोर्ट फैसला सुनाएगा। 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी के आरोप में ननों को पकड़ा था, जिसके बाद GRP थाना दुर्ग में FIR दर्ज कर दोनों को जेल भेजा गया। बीते 9 दिनों से दोनों नन दुर्ग जेल में बंद हैं।

ननों की गिरफ्तारी के बाद मामला न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में तूल पकड़ चुका है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों ने इस पर सरकार को घेरा है। केरल, मेघालय समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। केरल से सांसदों का प्रतिनिधिमंडल दुर्ग पहुंचकर ननों से मुलाकात कर चुका है। सांसदों ने इसे “राजनीतिक द्वेष” और “धार्मिक असहिष्णुता” का मामला बताया है। वहीं, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी फर्जी केस रद्द करने की मांग की है।

NIA कोर्ट में बहस पूरी, फैसला आज

शुक्रवार को बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में ननों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पीड़ित पक्ष और अभियोजन की दलीलों को सुनने के बाद जज सिराजुद्दीन कुरैशी ने निर्णय सुरक्षित रख लिया। ननों के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पुलिस के पास मानव तस्करी के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं। आज कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगा।

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने 3 आदिवासी युवतियों, एक युवक और दो मिशनरी सिस्टर्स को रोका। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि युवतियों को नौकरी का झांसा देकर धर्मांतरण और मानव तस्करी के उद्देश्य से आगरा ले जाया जा रहा था। स्टेशन पर हुए विवाद के बाद सभी को GRP थाने लाया गया, जहां बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। ननों पर मानव तस्करी और धर्मांतरण का केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।

पीड़िता ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ननों ने कुछ गलत नहीं किया

इस केस में नया मोड़ तब आया जब पीड़ित बताई गई युवतियों में से एक, कमलेश्वरी ने मीडिया के सामने आकर बयान दिया। कमलेश्वरी, जो नारायणपुर के अबूझमाड़ की रहने वाली है, ने कहा कि ननों ने उनके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया। वह अपनी मर्जी से आगरा जा रही थीं। GRP थाने में उनसे मारपीट कर जबरन बयान बदलवाया गया। कमलेश्वरी का कहना है कि उसका परिवार पिछले 5-6 साल से ईसाई धर्म को मानता है।

दुर्ग कोर्ट से खारिज हुई थी जमानत याचिका

ननों की जमानत याचिका 30 जुलाई को दुर्ग सत्र न्यायालय में लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल धर्मांतरण का नहीं, बल्कि मानव तस्करी और आदिवासी युवतियों को राज्य से बाहर ले जाकर दबावपूर्वक धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास से जुड़ा गंभीर अपराध है। साथ ही, दुर्ग कोर्ट के पास NIA एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है, इसलिए केस बिलासपुर NIA कोर्ट भेजा गया।

विपक्ष का सरकार पर हमला

ननों की गिरफ्तारी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा-आरएसएस के भीड़तंत्र ने दो निर्दोष ननों को जेल में डाला है। प्रियंका गांधी ने भी गिरफ्तारी को “धार्मिक असहिष्णुता” का उदाहरण बताया। संसद में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ है।

प्रदर्शन और राजनीतिक दबाव तेज

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ईसाई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ननों की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किए हैं। केरल के कोच्चि, एर्नाकुलम और अंगामाली में भी बड़े पैमाने पर विरोध मार्च निकाले गए। केरल से आए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात कर ननों की रिहाई की मांग की।

क्या है मानव तस्करी कानून?

भारतीय दंड संहिता और धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मानव तस्करी एक गैर-जमानती अपराध है। इसमें दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बच्चों और महिलाओं से जुड़े मामलों में पुलिस को FIR होते ही गिरफ्तारी करनी होती है।

आज बेल मिल सकती है?

ननों के वकील का कहना है कि पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। वहीं, एक पीड़िता द्वारा ननों के समर्थन में बयान देने के बाद केस कमजोर हुआ है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आज NIA कोर्ट दोनों ननों को जमानत दे सकता है।


[अगली अपडेट के लिए बने रहिए]

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Manish Tiwari

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