नक्सलियों ने छीना घर, लेकिन नहीं तोड़ पाए हौसला! विस्थापित महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर होली में घोल रही रंग, पांच साल से कमा रही हजारों रुपए!

रायपुर, 8 मार्च 2025 – बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ पंचायत के शिविर में रहने वाली कई महिलाओं की जिंदगी को नक्सलियों ने बेरंग कर दिया था। जान बचाने के लिए अपना गांव छोड़ने वाली ये महिलाएं अब हर्बल गुलाल बनाकर लोगों की जिंदगी में खुशियों के रंग भर रही हैं। पिछले पांच सालों से ये महिलाएं बिना किसी रुकावट के यह काम कर रही हैं और आने वाले वर्षों में इसे और आगे बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
गुलाल बना आत्मनिर्भरता का जरिया
बीजापुर जिले के भैरमगढ़ में ‘बिहान’ कार्यक्रम के तहत ‘माँ दुर्गा महिला स्व सहायता समूह’ की महिलाएं बीते पांच वर्षों से हर्बल गुलाल बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इस बार बीजापुर के लोग इन्हीं के बनाए हर्बल रंगों और गुलाल से होली खेलेंगे। हर्बल गुलाल की डिमांड लगातार बढ़ रही है, और कई लोग पहले से ही ऑर्डर देकर इसे मंगवा रहे हैं।
जनपद पंचायत सीईओ पुनीत राम साहू ने बताया कि प्रशासन महिलाओं को इस काम के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। इसका फायदा उठाकर ये महिलाएं गुलाल बनाकर बाजार में बेच रही हैं और अच्छी कमाई कर रही हैं। हर साल करीब 50 किलो से अधिक गुलाल बिकता है, जिससे महिलाओं को हजारों रुपए की आमदनी होती है। वर्तमान में इस समूह में 10 महिलाएं काम कर रही हैं।
प्राकृतिक फूलों से तैयार हो रहा हर्बल गुलाल
स्व सहायता समूह की महिलाएं पालक भाजी, लाल भाजी, टेसू के फूल, गेंदा के फूल जैसी प्राकृतिक सामग्रियों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। प्रशासन द्वारा इन्हें पहले ही इस काम की ट्रेनिंग दी गई थी। बीते पांच वर्षों में ये महिलाएं 150 किलो से अधिक हर्बल गुलाल बेच चुकी हैं।
इस हर्बल गुलाल की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक और त्वचा के लिए सुरक्षित है। यही वजह है कि लोग पहले से ही इसका ऑर्डर देकर खरीद रहे हैं।
नक्सल हिंसा से विस्थापित, लेकिन अब आत्मनिर्भर
विकासखंड परियोजना प्रबंधक रोहित सोरी ने बताया कि समूह की महिलाएं इतामपार गांव की रहने वाली हैं, जो इंद्रावती नदी के उस पार स्थित है। नक्सल हिंसा के चलते इन महिलाओं को अपना गांव छोड़ना पड़ा और अब वे भैरमगढ़ के राहत शिविर में रह रही हैं। जिला प्रशासन ने इनके रहने की सुविधा उपलब्ध कराई है।
इन महिलाओं ने सिर्फ गुलाल ही नहीं, बल्कि अन्य छोटे व्यवसाय भी शुरू किए हैं और अपनी आजीविका चला रही हैं।
हर्बल गुलाल की बढ़ती मांग
स्व सहायता समूह की अध्यक्ष फगनी कवासी और सचिव अनीता कर्मा ने बताया कि शुरुआत में प्रशासन ने उन्हें हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग दी थी। अब वे फूलों की पंखुड़ियों, पालक भाजी, लाल भाजी, हल्दी, बेसन और पलाश के फूलों से विभिन्न रंग तैयार कर रही हैं।
इनके बनाए हर्बल गुलाल की डिमांड लगातार बढ़ रही है। जिला पंचायत और स्थानीय बाजार में इनके गुलाल की बिक्री के लिए स्टॉल लगाए जा रहे हैं, जिससे महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है।