मणिपुर में मारे गए 33 उग्रवादी, सीएम बीरेन सिंह ने किया बड़े ऑपरेशन का ऐलान
मणिपुर में हालात अभी तक सामान्य नहीं हो सके हैं. राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में विद्रोहियों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव जारी है. इस बीच.सीएम एन बीरेन सिंह ने बताया है कि अब तक राज्य के विभिन्न इलाकों में करीबन 33 आतंकवादी मारे गए है. साथ ही कुछ आतंकियों को सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार भी किया है. सीएन एन बीरेन सिंह ने बताया कि ये कार्रवाई आतंकवादी समूहों के खिलाफ जवाबी और रक्षात्मक अभियानों के तहत की गई है. वहीं पुलिस की ओर से कहा गया है कि, मणिपुर में उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच अलग-अलग झड़पों में दो की मौत हो गई है और 12 लोग घायल हुए हैं.
मणिपुर में बड़े पैमाने पर तैनात किए गए हैं सुरक्षा कर्मी
इससे एक दिन पहले खबर आई थी कि, मणिपुर में हिंसक घटनाओं के बाद वहां बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है. सेना और असम राइफल्स ने संवेदनशील, टकराव वाली जगहों के साथ-साथ इंफाल घाटी के आसपास के ऊंचे इलाकों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है. सेना और असम राइफल्स ने मणिपुर में 27 मई की सुबह से कांगचुक, मोटबंग, सैकुल, पुखाओ और सगोलमंग के क्षेत्रों में कई तलाशी अभियान शुरू किए हैं, ताकि इन क्षेत्रों में सक्रिय किसी भी सशस्त्र विद्रोहियों पर नज़र रखी जा सके. हालांकि 3 मई से जारी हिंसा अभी तक शांत नहीं हुई है. बीच में कुछ दिन की शांति थी, लेकिन 20 मई के बाद एक बार फिर से राज्य में अशांति का माहौल बना हुआ है.
मणिपुर में भाजपा विधायक के घर हमला
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच भाजपा नेताओं को निशाना बनाने का सिलसिला थम नहीं रहा है. सामने आया है कि उपद्रवियों ने भाजपा विधायक रघुमनि के घर पर हमला कर दिया. रविवार को उनके घर पर हुए इस हमले के बाद देखा जा सकता है कि कैसे उपद्रवियों ने वहां उत्पात मचाया है. विधायक के घर जमकर तोड़फोड़ की गई है.
31 मई तक के लिए बैन हुआ इंटरनेट
राज्य में आगजनी सहित हिंसा की छिटपुट घटनाओं को देखते हुए सरकार ने ये बैन बढ़ाया है. राज्य में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच झड़पों के बाद व्यापक हिंसा भड़कने के बाद पहली बार 3 मई को इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन लगातार जारी अशांति के कारण मणिपुर में नागरिक प्रभावी रूप से लगभग एक महीने तक इंटरनेट से डिस्कनेक्ट रहेंगे. पिछले हफ्ते, राज्य के गृह विभाग ने 21 मई के एक आदेश में घोषणा की थी कि इंटरनेट प्रतिबंध 26 मई तक जारी रहेगा. यह प्रतिबंध व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए बढ़ाया गया था.
बता दें कि 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) का ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ हिंसक हो उठा. इंफाल सहित कई जिलों से मार-काट, दंगों और तोड़-फोड़ की खबरें आईं. हालात पर काबू पाने के लिए सेना और असम राइफल्स ने फ्लैग मार्च निकाला. करीब 15,000 लोगों को प्रभावित इलाकों से निकालकर राहत शिविरों में ले जाया गया. सरकार ने दावा किया कि 60 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हुए.
कब से जल रहा है मणिपुर?
– तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.
– इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
– तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.
– ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.
– पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है.
– मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला.