महाशिवरात्रि 2025: भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सुनहरा अवसर, जानें शिव चालीसा का महात्म्य, पूजा विधि, रुद्राभिषेक का महत्व और शुभ मुहूर्त!

महाशिवरात्रि पर संपूर्ण शिव चालीसा एवं पूजा विधि
इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को धूमधाम से मनाई जा रही है। इस शुभ अवसर पर भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ करने से सभी दुखों का नाश होता है और शिव कृपा प्राप्त होती है।
शिव चालीसा (Shiv Chalisa in Hindi)
॥ दोहा ॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
महाशिवरात्रि पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त (26 फरवरी 2025)
- निशिता काल पूजा समय: रात 12:09 से 12:59 तक (50 मिनट)
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा: शाम 06:19 से 09:26 तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा: रात 09:26 से 12:34 तक
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा: रात 12:34 से 03:41 तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा: सुबह 03:41 से 06:48 तक
शिव पूजन विधि
- सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान शिव एवं माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- पंचामृत स्नान (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से भगवान शिव का अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, मिठाई और फल अर्पित करें।
- भगवान शिव का ध्यान करते हुए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- चारों प्रहर की पूजा करें और रात्रि जागरण करें।
- रुद्राभिषेक करें, जिससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ
- अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
- विवाहित महिलाएँ अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- सभी प्रकार के संकटों एवं रोगों का नाश होता है।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें!
ॐ नमः शिवाय!