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अगले महीने रायपुर में सजेगा साहित्य का महाकुंभ: देशभर के 100 से अधिक साहित्यकार जुटेंगे, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया लोगो का अनावरण

रायपुर, 02 दिसंबर 2025।
नए वर्ष की शुरुआत के साथ छत्तीसगढ़ एक बार फिर साहित्यिक उत्साह से जगमगाने वाला है। नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी 2026 तक भव्य रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देशभर के 100 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। राज्य स्थापना के रजत वर्ष पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा परिकल्पित यह आयोजन अब मूर्त रूप लेने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने आज अपने निवास कार्यालय में रायपुर साहित्य उत्सव के लोगो का अनावरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शंशाक शर्मा, जनसंपर्क विभाग के सचिव डॉ. रोहित यादव, वरिष्ठ साहित्यकार सुशील त्रिवेदी, डॉ. चितरंजन कर, गिरीश पंकज, डॉ. संजीव बक्शी, प्रदीप श्रीवास्तव और शकुंतला तरार उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर यह साहित्य उत्सव रजत महोत्सव की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देश के मूर्धन्य साहित्यकारों के लिए भी साझा मंच बनेगा। छत्तीसगढ़ को साहित्य जगत में नई पहचान मिलेगी और समाज में सकारात्मक विमर्श को गति मिलेगी।”

तीन दिनों में 11 सत्र, संवाद से सजेगा मंच

तीन दिवसीय इस उत्सव में कुल 11 सत्र शामिल होंगे—

  • 5 समानांतर सत्र
  • 4 सामूहिक सत्र
  • 3 संवाद सत्र

इन सत्रों में साहित्यकारों के बीच प्रत्यक्ष संवाद, विचार-विमर्श और अनुभव साझा करने का अवसर मिलेगा। आयोजन जनजातीय संग्रहालय के समीप आयोजित होगा।


छत्तीसगढ़ की विरासत का प्रतीक—उत्सव का विशेष लोगो

रायपुर साहित्य उत्सव का लोगो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का जीवंत प्रतीक है। इसमें—

  • सल्फी के पेड़ को छत्तीसगढ़ के नक्शे का रूप दिया गया है, जो राज्य की जड़ों, परंपराओं और जनजातीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ‘आदि से अनादि तक’ वाक्य साहित्य की अनंत यात्रा का प्रतीक है—आदिकाल से आधुनिक समय तक।
  • ‘सुरसरि सम सबके हित होई’ साहित्य की समावेशी, सर्वहितकारी शक्ति को दर्शाता है।

यह लोगो संदेश देता है कि छत्तीसगढ़ का साहित्यिक अस्तित्व आदिकाल से समकालीनता तक एक सतत प्रवाह की तरह विकसित होता आया है। जनजातीय परंपराओं, लोकविश्वास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इसमें बेहद कलात्मक रूप से समाहित किया गया है।


राज्य को देगा नई साहित्यिक पहचान

रायपुर साहित्य उत्सव का यह लोगो और आयोजन दोनों ही छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय साहित्यिक परिदृश्य में नई पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह उत्सव न केवल साहित्यकारों का संगम होगा, बल्कि समाज में साहित्य, लेखन और पठन-पाठन के प्रति नई प्रेरणा पैदा करेगा।

जनमानस तक यह संदेश जाएगा कि छत्तीसगढ़ की साहित्यिक यात्रा ‘आदि से अनादि’ तक अविचल, समृद्ध और जीवंत रही है—और आगे भी नई कथाएँ गढ़ती रहेगी।

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Manish Tiwari

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