भोपाल: 150 करोड़ की लागत से बने नए एमपी भवन पर सरकारी अफसरों ने उठाए सवाल; गेस्ट भी इन वजहों से रहते हैं परेशान
राजधानी के चाणक्यपुरी क्षेत्र में फाइव स्टार होटल की तर्ज पर बनकर तैयार हुए नए मध्य प्रदेश भवन की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि नई दिल्ली में ही पदस्थ एमपी भवन के आवासीय आयुक्त पंकज राग ने उठाए है। बता दें कि आवासीय आयुक्त ही भवन का केयरटेकर होता है। आईएएस राग ने प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह को पत्र लिखकर नए भवन की कई कमियां उजागर की हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग ने भी कार्रवाई करते हुए चार इंजीनियरों का जांच दल गठित कर दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन इस नए भवन का छह महीने पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकार्पण किया था। 150 करोड़ की लागत से बने 5 स्टार सुविधाओं से लैस इस भवन में 108 कमरे हैं। प्रदेश सरकार ने यह भवन आगामी 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया है।एजेंसी ने मापदंडों का नहीं किया पालनपांच सितारा होटल की तर्ज पर बने नए भवन में गुणवत्ता से जुड़ी कई कमियां मिली हैं। नए भवन में बने कमरों के टॉयलेट में सीपेज है। इसके अलावा एसी के डक्ट में भी समस्या है। भवन में पानी के पाइप के लिए लोहे का इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन निर्माण एजेंसी ने पीवीसी और प्लास्टिक के पाइप का प्रयोग किया है। इसके अलावा भवन के इलेक्ट्रिफिकेशन के काम में कई कमियां सामने आई है। भवन में अधिकांश उपकरणों और फिटिंग में निर्धारित स्पेसिफिकेशन के अनुसार काम नहीं किया गया। निर्धारित ब्रांड और गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा गया है।अपने पत्र में आवासीय आयुक्त पंकज राग ने इन्हीं सब गड़बड़ियों का जिक्र किया है। राग ने लिखा कि, नए एमपी भवन के निर्माण का काम एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड) के पास था। एनबीसीसी द्वारा सरकार को जिम्मा सौंपने के बाद जब भवन के अफसरों ने इसका निरीक्षण किया तो कई कमियां निकलकर सामने आईं। निरीक्षण में पाया गया कि हर कमरे के बिजली की फिटिंग का काम ठीक नहीं है। इसके अलावा जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग किया जाना था वह उच्च गुणवत्ता वाले नहीं हैं। कमरों के एसी और टॉयलेट में भी समस्याएं हैं। वहीं, सीसीटीवी कैमरे, इलेक्ट्रिक पैनल और आग बुझाने वाले संयंत्र, टेलीफोन भी तय मापदंडों के अनुसार नहीं है।राग ने सवाल उठाया कि, भवन निर्माण के दौरान और एनबीसीसी द्वारा शासन को सौंपने के बाद भी संबंधित जिम्मेदारी अधिकारियों ने इस तरफ कोई ध्यान दिया। यहीं नहीं भवन के शुरू होने के बाद परिसर और कमरों में लगे उपकरणों की जांच करने तक की जहमत नहीं उठाई। जब एनबीसीसी को इस मामले की जानकारी दी तो एजेंसी कमियों को दुरुस्त करने के बजाए उसे छिपाने का प्रयास किया। नए भवन में आने वाले मेहमान भी इसलिए होते हैं परेशाननए भवन में आने वाले गेस्ट भी भवन की अनियमितता से परेशान है। अमर उजाला से चर्चा में भवन में ठहरने वाले लोगों ने कहा कि, नए भवन के कमरे तो कई बना दिए लेकिन उनकी व्यवस्था बिल्कुल ठीक नहीं है। कमरों में टीवी लगाए लेकिन उनके रिचार्ज तक नहीं है।कमरों में टॉयलेट इस तरह के डिजाइन किए गए हैं कि पूरे समय फर्श पर पानी भरा रहता है। कमरों में पीने के पानी का भी ठीक प्रबंध नहीं है।भवन में आने वाले आगंतुकों का कहना है कि, शासन ने नए भवन में खाने का ठेका एमपी टूरिज्म को दिया है। खाने की गुणवत्ता तो ठीक है, लेकिन सर्विस बहुत खराब है। लोगों को खाने के लिए घंटो तक इंतजार करना पड़ता है।कमरों में एसी का तापमान कम ज्यादा करने का सिस्टम भी ठीक से काम नहीं करता है। भवन में पावर सप्लाई की स्थिति भी ठीक नहीं है। लाइट जाने की स्थिति में जनरेटर भी ठीक से काम नहीं कर पाता है।एमपी भवन परिसर में बने स्टॉफ क्वाटर्स में भी कई कमियां है। संबंधित एजेंसी ने अब तक अलग से बिजली मीटर देकर विद्युत कनेक्शन नहीं दिया है। मध्यप्रदेश भवन को मिले बिजली कनेक्शन से ही कर्मचारियों के क्वाटर्स को बिजली सप्लाई की जा रही है, जिसके कारण मध्यप्रदेश सरकार को उनके बिजली बिलों की राशि का भी भुगतान करना पड़ रहा है।भवन में हाउस कीपिंग स्टाफ और आगंतुकों के बीच आए दिन बहस की खबरें सामने आती हैं। गेस्ट कई बार स्टाफ के व्यवहार को लेकर शिकायत करते हुए नजर आते हैं।