धान खरीदी से ठीक पहले जिला सहकारी बैंक में वेतन विवाद: 25 करोड़ रुपए का बकाया भुगतान अटका, कर्मचारियों ने अमित शाह को लिखा पत्र

रायपुर, 13 अक्टूबर 2025
प्रदेश में धान की सरकारी खरीद की तैयारी के बीच जिला सहकारी बैंक में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पिछले पाँच साल से वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते के लिए तरस रहे अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी शिकायत केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह तक पहुंचा दी है। सहकारिता मंत्रालय ने मामले में उचित पहल का भरोसा दिया है।
कर्मचारियों का आरोप:
कर्मचारियों ने अपने पत्र में कहा है कि उन्हें जानबूझकर वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते से वंचित रखा गया। उनका दावा है कि बकाया रकम अब 25 करोड़ रुपए तक पहुँच चुकी है। राज्य में धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होने वाली है और किसानों को धान की रकम, पीडीएस संचालन, खाद-बीज वितरण और पीएम किसान सम्मान निधि का भुगतान जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से ही किया जाता है।
मामले का इतिहास:
पंजीयक सहकारी संस्था ने पाँच साल पहले एक आदेश के तहत कर्मचारियों की वेतनवृद्धि पर रोक लगा दी थी। बाद में हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जहाँ मामला अभी लंबित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बकाया भुगतान करने पर सरकार पर किसी आर्थिक बोझ का असर नहीं पड़ेगा।
पिछले आदेश की वजह:
तत्कालीन सहकारिता पंजीयक और बैंक अध्यक्ष धनंजय देवांगन ने 2012 में वेतनमान संशोधन से जुड़ा आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया कि यदि किसी जिला सहकारी बैंक का स्थापना व्यय उसकी सकल आय का 15% या कार्यशील पूंजी का 1.50% से अधिक हो, तो बैंक में वेतनवृद्धि स्वतः रुक जाएगी। इसी आधार पर राज्य के सभी जिला सहकारी बैंकों में पिछले पाँच साल से वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ता रोका गया।
राज्यों पर पड़ने वाला असर:
सहकारिता राज्य का विषय है, लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की अपील पर भी कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देती है, तो इसका असर सभी राज्यों में पंजीयक के अधिकार पर पड़ेगा। फिलहाल सेवा-नियम विधानसभा में पास होने के बाद ही लागू हो पाएंगे।
कर्मचारियों का बकाया:
- वर्ग-1 अधिकारी व शाखा प्रबंधक (50 कर्मी): ₹5 लाख प्रति कर्मी
- लेखापाल (120 कर्मी): ₹4 लाख प्रति कर्मी
- लिपिक व समिति प्रबंधक (400 कर्मी): ₹3 लाख प्रति कर्मी
- भृत्य व सफाई कर्मचारी (180 कर्मी): ₹2 लाख प्रति कर्मी
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ₹2 करोड़
प्रतिक्रिया:
‘यह मामला वेतनवृद्धि व सेवा नियमों से जुड़ा है। कोर्ट के फैसले की समीक्षा के बाद जल्द निराकरण किया जाएगा।’ – कुलदीप शर्मा, सहकारी पंजीयक व अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक।
‘यह सहकारिता अधिनियम के विपरीत है। डॉ. अमलोर पवनाथ कमेटी की सिफारिश में केवल नई भर्ती पर रोक का जिक्र है, न कि वेतनवृद्धि या महंगाई भत्ते पर।’ – देवेंद्र पांडेय, याचिकाकर्ता कर्मचारी।