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Jharkhand Liquor Scam: रायपुर से सिंडिकेट का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, करोड़ों की साजिश का हुआ खुलासा

रायपुर, 19 जून 2025: झारखंड में हुए करोड़ों के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच कर रही ACB/EOW की टीम ने छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर के लाभांडी इलाके से कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया है। रायपुर कोर्ट में पेशी के बाद आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर रांची ले जाया जाएगा।

जांच एजेंसियों के अनुसार, सिद्धार्थ सिंघानिया इस पूरे शराब सिंडिकेट का बिचौलिया है। ईडी को उसकी डायरी से कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जिससे झारखंड-छत्तीसगढ़ के बीच फैले शराब नेटवर्क, पैसों के लेन-देन और साजिशों की परतें खुल रही हैं। पूरा मामला अब CBI जांच के दायरे में है।

राज्य को हुआ है 38 करोड़ से अधिक का नुकसान

झारखंड एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच में अब तक खुलासा हुआ है कि इस घोटाले से राज्य को 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, जो जांच बढ़ने के साथ और भी बढ़ सकता है।

छत्तीसगढ़ के कई कारोबारी रडार पर

छत्तीसगढ़ के सरोज लोहिया, बच्चा लोहिया, अतीमा खन्ना, भोपाल के मनीष जैन, पुणे के अजीत जयसिंह राव, अमित प्रभाकर सोलंकी और सुनील कुंभकर को पूछताछ के लिए नोटिस भेजे गए हैं। इनमें से कोई भी अभी तक जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुआ है। यदि आवश्यक हुआ तो गिरफ्तारी वारंट जारी किए जा सकते हैं।

नीति में बदलाव से सिंडिकेट को लाभ

सिंघानिया ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड में नेटवर्क फैलाया और नीतियों में फेरबदल कर मैनपावर सप्लाई, होलोग्राम निर्माण और शराब आपूर्ति के ठेके करीबी लोगों को दिलवाए। छत्तीसगढ़ में इस मामले में 7 सितंबर 2024 को एसीबी ने FIR दर्ज की थी, जिसमें तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, वरिष्ठ IAS अनिल टुटेजा सहित कई अधिकारियों और कारोबारियों को आरोपी बनाया गया है।

प्लेसमेंट एजेंसी में भी गड़बड़ी

जांच में खुलासा हुआ है कि 310 शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई के ठेके में भारी अनियमितताएं हुईं। झारखंड में काम करने वाली एजेंसियां – सुमित फैसिलिटीज, इगल हंटर सॉल्यूसंश और एटूजेड इंफ्रा – को छत्तीसगढ़ से जोड़ा गया। इन्हीं कंपनियों ने सिंघानिया को सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया, जिसने पुराने ठेकेदारों के मैनपावर को ही नई नियुक्ति के नाम पर बनाए रखा।

अब तक गिरफ्तार हुए 5 बड़े नाम:

  1. विनय कुमार चौबे – पूर्व प्रमुख सचिव (उत्पाद)
  2. गजेंद्र सिंह – पूर्व संयुक्त आयुक्त
  3. सुधीर कुमार दास – महाप्रबंधक (वित्त)
  4. सुधीर कुमार – पूर्व महाप्रबंधक (वित्त सह अभियान)
  5. नीरज कुमार सिंह – प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के प्रतिनिधि

यह मामला झारखंड और छत्तीसगढ़ की शराब नीति में गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। आने वाले दिनों में और बड़े नाम जांच के दायरे में आ सकते हैं।

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Manish Tiwari

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