
बिलासपुर, 30 जुलाई 2025 – नगर निगम बिलासपुर में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। आर्किटेक्ट एसोसिएशन की शिकायत के बाद खुलासा हुआ कि एक ऐसे व्यक्ति के नाम से सैकड़ों भवन नक्शे पास किए गए, जो खुद कहीं मौजूद ही नहीं है। यह व्यक्ति है – विकास सिंह, जिसे आर्किटेक्ट बताकर नगर निगम ने निलंबित तक कर दिया, लेकिन असली पहचान और मौजूदगी अब तक रहस्य बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में 400 से अधिक नक्शे विकास सिंह के नाम से पास हुए हैं। आशंका जताई जा रही है कि नगर निगम और टाउन प्लानिंग विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया। सूत्रों के अनुसार, एक चर्चित कर्मचारी ही विकास सिंह के नाम का इस्तेमाल कर पूरे खेल को अंजाम दे रहा था।
न आर्किटेक्ट, न इंजीनियर – फिर कैसे पास हुए सैकड़ों नक्शे?
आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि विकास सिंह न तो पंजीकृत आर्किटेक्ट है और न ही उसकी शैक्षणिक व पेशेवर जानकारी कहीं दर्ज है। बावजूद इसके उसके नाम से एक ही दिन में कई-कई नक्शे पास हो जाते थे। जब नगर निगम ने संदेह के आधार पर विकास सिंह को निलंबित किया, तब आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने जांच की मांग की। यहीं से मामला तूल पकड़ गया।
एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि आर्किटेक्ट केवल डिजाइन व ड्राइंग के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि सुपरविजन और निर्माण की पूर्णता की जिम्मेदारी की स्पष्ट व्यवस्था नहीं होने से इस तरह की धांधली को बढ़ावा मिला है।
अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल
इस पूरे घोटाले में भवन शाखा और टाउन प्लानिंग विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि इन अधिकारियों की शह पर ही अवैध इमारतें खड़ी की गईं। कई निर्माण बिना स्वीकृत मानचित्र के हुए और फाइलों में साइन कर दिए गए। जब जांच शुरू हुई, तो विकास सिंह को दो बार नोटिस भेजा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अंततः निलंबन की कार्रवाई की गई, इसके बावजूद वह सामने नहीं आया।
अब क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि विकास सिंह नाम पर चल रहे इस फर्जीवाड़े में नगर निगम किसके खिलाफ कार्रवाई करेगा?
क्या भवन शाखा के उन अधिकारियों पर गाज गिरेगी, जिनकी अनदेखी या मिलीभगत से यह घोटाला फला-फूला?
नगर निगम की साख और पारदर्शिता दोनों दांव पर है।
फिलहाल नगर निगम प्रशासन की ओर से किसी वरिष्ठ अधिकारी का बयान नहीं आया है, लेकिन आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है।
यह घोटाला न केवल नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिना ठोस निगरानी व्यवस्था के कैसे एक अदृश्य नाम पर पूरे शहर की इमारतें खड़ी हो सकती हैं।