Khairagarh Liquor Ban: खपरी दरबार गांव में ग्रामीणों ने किया शराबबंदी का ऐलान, अवैध शराब बेचने पर ₹20,000 जुर्माना और सूचना देने वाले को मिलेगा ₹5,000 का इनाम

खैरागढ़ (छत्तीसगढ़)। खैरागढ़ जिले के ग्राम खपरी दरबार के ग्रामीणों ने एक साहसिक और अनुकरणीय कदम उठाते हुए गांव में पूर्ण शराबबंदी का ऐलान कर दिया है। गांव में बढ़ते अवैध शराब कारोबार और पुलिस संरक्षण की आशंका के विरोध में ग्रामीणों ने दो दिनों तक चली तीन बैठकों के बाद यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया।
अब गांव में महुआ से बनी कच्ची शराब का निर्माण, बिक्री और सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इस निर्णय को सख्ती से लागू करने के लिए गांव में 14 सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया गया है। इस समिति में लक्ष्मण निषाद, दीनदयाल जंघेल, पन्नालाल साहू, नेहरू साहू, कामता बघेल, लक्की नेताम, तोरण साहू (सरपंच), वीरेंद्र साहू (पूर्व सरपंच प्रतिनिधि), राजेश निषाद, राहुल साहू, पन्नू यादव, ध्रुव जंघेल, यादव राम जंघेल और अमीर जंघेल शामिल हैं।
कड़ी सजा और इनाम की व्यवस्था
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर निगरानी समिति के पास कड़ी कार्रवाई का अधिकार रहेगा। गांव में यदि कोई अवैध शराब का निर्माण या बिक्री करता पाया गया तो उस पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, अवैध शराब की सूचना देने वाले ग्रामीण को ₹5,000 तक का इनाम दिया जाएगा।
अगर किसी व्यक्ति को बार-बार चेतावनी देने के बाद भी शराब के कारोबार या सेवन में पाया गया, तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि नियम तोड़ने वालों को ग्रामीण स्वयं पकड़कर पुलिस थाने तक ले जाएंगे।
प्रशासनिक उदासीनता के बाद ग्रामीणों ने उठाया कड़ा कदम
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में अवैध शराब का कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था, जिससे गांव का माहौल बिगड़ रहा था। बच्चों और महिलाओं पर इसका बुरा असर पड़ रहा था। कई बार पुलिस और प्रशासन को शिकायतें करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे मजबूर होकर ग्रामीणों ने यह कठोर फैसला लिया है।
गांव बना छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की मिसाल
खपरी दरबार गांव का यह निर्णय न केवल बस्तर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की दिशा में एक मिसाल बन सकता है। ग्रामीणों ने जिस एकजुटता के साथ यह फैसला लिया है, वह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत है।