राज्य की आवासीय सोसायटियों में सौर ऊर्जा से हरित क्रांति की शुरुआत : मुख्यमंत्री के निर्देश पर क्रेडा की बड़ी पहल, सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सर्वे शुरू
रायपुर, 11 दिसंबर 2024 | छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) राजेश सिंह राणा ने राज्य की आवासीय सोसायटियों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2030 तक सौर ऊर्जा से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की जा रही है।
बैठक का आयोजन और चर्चा
दिनांक 09.12.2024 को क्रेडा प्रधान कार्यालय रायपुर में राणा की अध्यक्षता में विभिन्न को-ऑपरेटिव आवासीय सोसायटियों और क्रेडा के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। इसमें आवासीय सोसायटियों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सामुदायिक उपयोगिताओं की बिजली खपत को कम करने पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में निम्न सोसायटियों के पदाधिकारी उपस्थित रहे:
- सिंगापुर सिटी, कोटा
- एनएमडीसी कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति, रायपुर
- राज्य प्रशासनिक सेवा गृह निर्माण सहकारी समिति, रायपुर
- गुरु घासीदास गृह निर्माण सहकारी समिति, रायपुर
- नेताजी सुभाष शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति, रायपुर
- अर्जुन एन्क्लेव आवासीय सोसायटी, मठपुरैना
- अन्य प्रमुख सोसायटियां
सौर ऊर्जा परियोजना के वित्तीय मॉडल
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बैठक में ग्रिड-कनेक्टेड सौर संयंत्रों की स्थापना और वित्तीय मॉडलों की जानकारी दी, जैसे:
- RESCO (Renewable Energy Services Company) मॉडल
प्रारंभिक व्यय RESCO द्वारा वहन किया जाता है।
बिजली उत्पादन पर आवासीय सोसायटी को लागत मूल्य में बिजली दी जाती है।
अनुबंध अवधि पूरी होने पर संयंत्र सोसायटी को हस्तांतरित कर दिया जाता है।
- CAPEX (Capital Expenditure) मॉडल
पूरी स्थापना लागत सोसायटी द्वारा वहन की जाती है।
अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजी जाती है, जिसका लाभ नेट मीटरिंग पॉलिसी के तहत मिलता है।
- CAPEX Sharing मॉडल
लागत का विभाजन RESCO और सोसायटी के बीच होता है।
- Virtual Net Metering मॉडल
कई उपभोक्ताओं के सहयोग से एक साझा संयंत्र की स्थापना।
परियोजना के संभावित लाभ
100 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से RESCO मॉडल में प्रति माह ₹90,000 और CAPEX मॉडल में ₹1,31,200 की बचत होगी।
संयंत्र की लागत (₹45 लाख) 3-4 वर्षों में बिजली की बचत से पूरी हो जाएगी।
100 किलोवाट संयंत्र के लिए 800-850 वर्ग मीटर छाया-मुक्त स्थल की आवश्यकता होगी।
आगे की दिशा
बैठक में उपस्थित सोसायटियों ने इस पहल में रुचि व्यक्त की और सर्वेक्षण के लिए अनुरोध किया। इस पहल से न केवल बिजली की खपत में कमी आएगी, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
यह पहल छत्तीसगढ़ को हरित ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, राज्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर है।