झुग्गी से उठकर देश के सबसे बड़े जज बने गवई: पहले बौद्ध CJI, मां के साथ किया घर का काम, राहुल गांधी को दिलाई थी राहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की जीवन यात्रा प्रेरणादायक रही है। अमरावती की झुग्गी बस्ती फ्रेजरपुरा में जन्मे गवई अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े थे, जिस कारण जिम्मेदारियां भी अधिक रहीं। उन्होंने बचपन में घर के कामों में मां कमलाताई की मदद की और समाज सेवा की भावना उनके भीतर प्रारंभ से ही मौजूद रही।
उन्होंने नगरपालिका के मराठी माध्यम स्कूल में जमीन पर बैठकर कक्षा 7 तक की पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई मुंबई, नागपुर और अमरावती में पूरी की। बीकॉम के बाद अमरावती विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेकर 25 साल की उम्र में वकालत शुरू की। वे मुंबई और अमरावती में प्रैक्टिस करते रहे और बाद में नागपुर स्थित बॉम्बे हाईकोर्ट बेंच में सरकारी वकील बने।
2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का एडिशनल जज और 2005 में स्थायी जज नियुक्त किया गया। उनकी न्यायिक सोच और संवेदनशीलता ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया।
राहुल गांधी केस में निष्पक्षता का परिचय
जुलाई 2023 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सजा से राहत देने वाले मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने निष्पक्षता का परिचय दिया। उन्होंने कहा था कि उनके पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और उनका भाई आज भी कांग्रेस में सक्रिय है। इस कारण उन्होंने खुद ही इस मामले की सुनवाई से हटने का प्रस्ताव दिया। हालांकि बाद में वे उस पीठ का हिस्सा रहे जिसने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हुई।
जस्टिस गवई का मानना है कि यह डॉक्टर अंबेडकर के प्रयासों का परिणाम है कि झुग्गी में पले-बढ़े व्यक्ति को यह सर्वोच्च पद मिला। उन्होंने यह सफर ‘जय भीम’ के नारे के साथ गर्वपूर्वक पूरा किया।