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ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले से लेकर पाकिस्तान की तबाही तक, भारत का निर्णायक पलटवार, पढ़े पूरी खबर…

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।
23 अप्रैल 2025, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की वादियों में वह दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया, जब आतंकवादियों ने कायरतापूर्ण हमला कर 26 निर्दोष नागरिकों की जान ले ली। इस बर्बर हमले ने न सिर्फ घाटी बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। जन-जन के दिलों में बदले की आग धधक रही थी और उसी लपट से निकला एक ऐसा निर्णय, जिसने आतंक की जड़ों को हिलाकर रख दिया — ऑपरेशन सिंदूर

हमले के दिन ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा को बीच में छोड़कर दिल्ली लौटे। उसी रात सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की आपात बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कठोर सैन्य कार्रवाई का निर्णय लिया गया। अगले ही दिन मधुबनी, बिहार की रैली में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस हमले के गुनहगारों और उनके संरक्षकों को ऐसी सजा मिलेगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।

युद्ध की पटकथा तैयार थी, इंतज़ार था सही वक्त का

भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने ऑपरेशन की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू किया। पूरी सटीकता, गोपनीयता और रणनीति के साथ सेना ने एक ऐसा मिशन तैयार किया, जो पाकिस्तान में दशकों से पल रहे आतंक के अड्डों को हमेशा के लिए मिटा देने वाला था।

7 मई: ऑपरेशन सिंदूर का प्रहार

7 मई की रात 1:05 बजे भारतीय सशस्त्र बलों ने “ऑपरेशन सिंदूर” की शुरुआत की। सिर्फ 25 मिनट में पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर (POK) में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। यह हमला अत्याधुनिक मिसाइलों, ड्रोन और सर्जिकल तकनीकों की मदद से किया गया, जिसमें एक भी भारतीय सैनिक ज़मीन पर नहीं उतरा।

पाकिस्तान की नाकाम जवाबी कार्रवाई

हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान ने भारत में ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने सभी प्रयास नाकाम कर दिए। 8 मई को पाकिस्तान ने सरक्रीक से लेकर लेह तक 36 स्थानों पर 300 से ज्यादा ड्रोन भेजे, जिनका लक्ष्य था – सैन्य ढांचे और नागरिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाना। भारतीय सेना ने न केवल सभी ड्रोन निष्क्रिय किए, बल्कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की मुखरता

8 मई की सुबह विदेश मंत्रालय ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग की। विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन के सटीक तथ्यों और पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों की तबाही के पुख्ता सबूत देश और दुनिया के सामने रखे। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंच पर किरकिरी हुई।

10 मई: दूसरा प्रहार, पाकिस्तान की सैन्य संरचना पर सीधा हमला

भारत ने 10 मई को एक और निर्णायक कदम उठाते हुए पाकिस्तान की एयर डिफेंस, रडार और कमांड सेंटरों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष को हॉटलाइन पर कॉल कर तनाव कम करने की गुहार लगाई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम’ पर सहमति बनी।

11-12 मई: समझौते की शुरुआत और भारत का स्पष्ट संदेश

भारतीय सेना ने बताया कि इन हमलों में 35-40 पाकिस्तानी सैन्यकर्मी मारे गए। भारत ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को भी मार गिराया, हालांकि संख्या उजागर नहीं की गई। 12 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच औपचारिक बातचीत हुई और सीमाओं पर तनाव घटाने के उपायों पर सहमति बनी।

प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संदेश

12 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा,

“ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंक के खिलाफ नई नीति का प्रतीक है। अब भारत हर वार का जवाब अपने तरीके से देगा। हम परमाणु धमकियों से डरने वाले नहीं। अब नई भारत की नीति है – पहले चेतावनी नहीं, सिर्फ कार्रवाई।”


निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि भारत की बदलती रणनीति, आत्मविश्वास और निर्णायक नेतृत्व का परिचायक है। यह संदेश था कि अब भारत सिर्फ सहने वाला नहीं, बल्कि चुन-चुन कर जवाब देने वाला देश बन चुका है। पहलगाम की हर बलि का बदला लिया गया – साफ, सटीक और पूरी दुनिया के सामने।

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Manish Tiwari

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