लालगढ़ से श्रद्धा का गढ़ बना अतुल्य दंतेवाड़ा: मां दंतेश्वरी कॉरिडोर से आध्यात्म और पर्यटन को नए आयाम
दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला जिला, अब श्रद्धा, पर्यटन और आध्यात्म का केंद्र बनता जा रहा है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दंतेश्वरी कॉरिडोर के उद्घाटन ने इस क्षेत्र को एक नए अध्याय की ओर अग्रसर किया है। यह कॉरिडोर, जो उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित किया गया है, दंतेश्वरी शक्तिपीठ की पवित्रता और सुंदरता में एक नया आयाम जोड़ रहा है।
शक्तिपीठ की भव्यता में बढ़ोतरी
मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ, भारत का 52वां शक्तिपीठ है, जहां माता सती का दांत गिरा था। यह स्थल आस्था का प्रमुख केंद्र है और यहां प्रतिवर्ष तीन बार नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि महोत्सव के दौरान भक्तों और पर्यटकों की भारी भीड़ दंतेवाड़ा की सड़कों पर उमड़ रही है।
नवनिर्मित मां दंतेश्वरी कॉरिडोर
नव निर्मित कॉरिडोर में भव्य रिवर फ्रंट, त्रिदेव की मूर्तियां, कमल आकृति के फव्वारे, और 30 दुकानों का निर्माण किया गया है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों में वृद्धि कर रहे हैं। साथ ही, यहां मध्य भारत का सबसे बड़ा ज्योतिकक्ष और त्रिदेव स्थानम भी निर्मित किया गया है, जो इस स्थल की आध्यात्मिक ऊर्जा को और बढ़ाता है।
पर्यटकों और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
नागपुर से आए पर्यटक अमित कुमार ने बताया कि “कॉरिडोर का निर्माण बेहद अद्भुत है, और यहां का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।” स्थानीय निवासी भी इस भव्य परियोजना से उत्साहित हैं, और मंदिर की बढ़ती रौनक को देखकर प्रसन्न हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला बढ़ावा
कॉरिडोर के निर्माण से पर्यटन में वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय निवासियों को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। बाजार का निर्माण होने से स्थायी रोजगार सृजन में वृद्धि हुई है, और दंतेवाड़ा की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।
आईएएस विनीत नंदनवार का महत्वपूर्ण योगदान
कॉरिडोर के निर्माण में तत्कालीन कलेक्टर विनीत नंदनवार के प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में तीव्र गति से निर्माण कार्य पूरा हुआ, और आज यह परियोजना श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
मां दंतेश्वरी कॉरिडोर के साथ, दंतेवाड़ा अब न केवल आध्यात्मिक बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है।