छत्तीसगढ़

Cultural : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का काम



Cultural : रायपुर। हरेली तिहार के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही। मांदर, मोहरी, बंसी, अलगोजा, बांस, तम्बूरा (तमूरा), चटका, खिरखिरा आदि वाद्य यंत्रों को देख लोगों को अपने प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को जानने समझने का मौका मिला।


Cultural : गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का काम कर रहे हैं। उनके कार्यों से देश भर को छत्तीसगढ़ी भाषा,कला, संस्कृति एवं सभ्यता को जानने का मौका मिल रहा है। उनके द्वारा अरपा पैरी के धार गीत को राज्यगीत का दर्जा दिलाने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया गया।आदिवासी बहुल क्षेत्रों में देवगुड़ी का जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है, साथ ही आदिवासी नृत्य महोत्सव भी आयोजित की जा रही है।छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा बीते साढ़े तीन वर्षों के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के क्रम में स्थानीय तीज-त्यौहारों पर भी अब सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं। इनमें हरेली तिहार भी शामिल है। जिन अन्य लोक पर्वों पर सार्वजनिक अवकाश दिए जाते है – तीजा, मां कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), विश्व आदिवासी दिवस और छठ।

Related Articles


Cultural : गौरतलब है कि वर्ष 2020 में हरेली पर्व के ही दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की थी जो केवल 02 वर्षों में अपनी सफलता को लेकर अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गई है। इस योजना का देश के अनेक राज्यों द्वारा अनुसरण किया जा रहा है।हरेली तिहार 28 जुलाई से इस योजना में और विस्तार करते हुए अब गोबर के साथ-साथ गोमूत्र खरीदी करने की भी शुरूआत की गई।

Dispatch
Dispatch Desk1

Show More

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

Back to top button