छत्तीसगढ़ी फिल्म दस्तावेज : एक पन्ने की कहानी गुडलक फिल्मस् एंटरटेन्मेंट 18 अक्टूबर सिनेमाघरों में
रायपुर, 27 सितंबर 2024
छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में एक नया पदार्पण है गुडलक फिल्म्स एंटरटेंमेंट, जिसके बैनर तले पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म “दस्तावेज: एक पन्ने की कहानी” को दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। इसके गीत संगीत के प्रति दीवानगी अपने चरम पर है और फिल्म का एक गीत हिरदय के बात” पर ही १ लाख के करीब रिल्स बन चुकी हैं और यूट्यूब पर १६ लाख लोग इसे देख चुके हैं।
सच्ची घटनाओ से प्रेरित है फिल्म फिल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित है, फिल्म में नगर पंचायत के एक क्लर्क की पूरी कहानी है जो कि सरकारी कार्य से संबंधित दस्तावेज से उलझने और उससे होने वाली तकलीफ को दिखाती है।
सूनी
दस्तावेज फिल्म के लेखक व निर्देशक सन्नी सिन्हा की पारी की भी यह पहली फीचर फिल्म है, दस्तावेज में छत्तीसगढ़ के ग्राम जीवन की असल खुशबू है। जिससे सिनेमा घर की पूरी स्क्रीन प्ररेणा एवं भावनाओं से भर जाती है। नये कलाकारों के शीर्ष स्तर के अभिनय की भावनात्मक कहानी है फिल्म दस्तावेज। प्रेम उत्सह, हंसी ठिठोली जैसे कई सूत्रों से फिल्म पूरे समय दर्शकों को बांधे रखती है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 18 अक्टूबर 2024 को संपूर्ण प्रदेश के सभी प्रमुख सिनेमाघरों में फिल्म एक साथ रिलीज की जाएगी।
खुशनुमा ग्रामीण जीवन और गांव की चुनौतियों पर केंद्रित फिल्म दस्तावेज की शूटिंग कांकेर के नरहरपुर ब्लॉक के समीपस्थ गावों में की गई है। इसमें युवा कलाकारों ने कई रचनात्मक किरदार निभाए हैं। सरकारी अधिकारी “किशन” के मुख्य किरदार में यू ट्यूब में फूफू के चरित्र से प्रसिद्ध अनिल सिन्हा नजर आयेंगे, जिनकी प्रख्यात हीरो अमलेश नागेश के साथ विगत फिल्म ” हांडा” जबरदस्त हिट हो चुकी है और दर्शकों की पसंद के कई आयाम स्थापित कर चुकी है। दस्तावेज में इस जोड़ी का एक गीत ” चल चल अब धीर कहां…” भी दर्शकों के जज्बातों को सीधे सिनेमायी पर्दे से जोड़ने का प्रभाव रखता है। दस्तावेज फिल्म
में अनिल सिन्हा अपने बिल्कुल नये अवतार में नज़र आते हैं। कम डायलॉग बोलकर कर भी अपनी सटिक एक्टिंग से बेहद प्रभावित करते हैं और पूरे फिल्म के कथानांक के केन्द्र बिन्दु हैं।
टेलीविजन जगत की जानी मानी नायिका सुमन पटनायक के गांव की पली बढ़ी किंतु सोच समझ से आधुनिक नित्या” के किरदार में नजर आतीं हैं। सुमन ने अपने अधिकारों के प्रति जागरूक युवती का भावनात्मक द्वंद तथा निःस्वार्थ प्रेम के भावों से फिल्म में जान डाल दी है। अनिल सिन्हा याने “किशन” के साथ ही उनकी माता फागेश्वरी सिन्हा ने इस फ़िल्म में घरेलू महिला किंतु जन सेवा हेतु समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका अदा की है। जिनका, दस्तावेज में की गई गड़बड़ियों पर सीधा टकराव होता है आलोक मिश्रा से। आलोक, जो फिल्म में विलेन हैं, ने अपनी हर एंट्री से इस फिल्म में सभी किरदारों को डराया है, अपनी बोलती आखों के रौब से। दस्तावेज की पूरी कहानी में हर पात्र के साथ मिश्री की तरह धूल जाता है गोपाल (शशांक विश्वकर्मा)। फिल्म में अनेक हास्य व्यंग के पहलुओं को भी संजोया गया है। ऐसा ही एक मजेदार” गोपाल” है, जो बात बात पर आपको हंसने हंसाने पर बजबूर कर देता है। शशांक द्वारा अभिनीत यह किरदार फिल्म में एक ऐसा मोड़ भी ले आता है जहां थियेटर में हर दर्शक की आखों के आसू छलकेंगे । छत्तीसगढ़ी फिल्मों में खलनायकी का एक नया आयाम स्थापित करते दिख रहे हैं आलोक मिश्रा उनकी आंखों की भांवे और घनी मुछों से तुरंत एक्प्रेसन बदलते
इस फिल्म के निर्माता – सौरभ बरड़िया हैं जिनका बखूबी साथ दिया है प्रमोटर मंगलमूर्ति तथा वितरक लाभांस तिवारी (श्याम टॉकीज) ने।