
बिलासपुर, 29 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बहुचर्चित आबकारी (शराब) घोटाले में आरोपी अनवर ढेबर की याचिका खारिज कर दी है। अनवर ढेबर ने एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को अवैधानिक बताते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
यह मामला ईडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें 2000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले का खुलासा हुआ है। ईडी की जांच के अनुसार, तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर अवैध सिंडिकेट बनाकर घोटाले को अंजाम दिया।
अनवर ढेबर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि उसे 4 अप्रैल को बिना किसी सूचना के हिरासत में लिया गया और अगले दिन दोपहर को औपचारिक गिरफ्तारी की गई। उसने यह भी कहा कि उसे गिरफ्तारी का पंचनामा, कारणों की सूचना और केस डायरी की प्रतिलिपि नहीं दी गई, जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का उल्लंघन है। साथ ही 5 और 8 अप्रैल को पुलिस रिमांड के आदेशों को भी चुनौती दी गई।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची जा रही थी, जिससे शासन को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। इसे गंभीर अपराध बताते हुए सरकार ने कहा कि आरोपी की याचिका पहले भी दो बार खारिज हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने सरकार के तर्कों से सहमत होते हुए अनवर ढेबर की याचिका खारिज कर दी और एसीबी की कार्रवाई को उचित ठहराया।
पृष्ठभूमि:
यह घोटाला छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जा रहा है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच तेज करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है। मामले में और भी गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।