कवर्धा में “भुइयां – जिम्मेवारी और जतन” कार्यक्रम का भव्य आयोजन: भूदृश्य पुनर्स्थापन, सतत कृषि और महिला सशक्तिकरण पर हुई चर्चा, “कवीर लैब” का उद्घाटन, 400 से ज्यादा लोगों की हुई भागीदारी!

कवर्धा, 8 मार्च 2025: छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति और समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में “भुइयां – जिम्मेवारी और जतन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय-नेतृत्वित और समावेशी भूदृश्य पुनर्स्थापन पर संवाद स्थापित करना था।
श्याम पैलेस, कवर्धा में आयोजित इस कार्यक्रम में 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें कृषि, पर्यावरण और सामाजिक विकास के विशेषज्ञों सहित किसान, उद्यमी और छात्र शामिल रहे।

“कवीर लैब” का उद्घाटन – किसानों के लिए नई पहल
इस अवसर पर “कवीर लैब” का शुभारंभ किया गया, जो कि किसानों को जैव-इनपुट उत्पादन, मृदा परीक्षण और नवाचार आधारित कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इस लैब से किसानों को सतत खेती और आत्मनिर्भरता की दिशा में लाभ मिलेगा।
विशेष प्रस्तुतियां और प्रेरक कहानियां
कार्यक्रम में बैगा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई, जिसने समुदाय और प्रकृति के गहरे संबंध को उजागर किया। साथ ही, ओमप्रकाश चंद्राकर, कुंती बाई, फगनी मसराम और सुनीता चंद्रवंशी सहित कई किसानों ने अपनी परिवर्तनकारी कहानियां साझा कीं।
युवा उद्यमी ईशा झावर ने अपने गुड़-आधारित स्टार्टअप की प्रेरणादायक कहानी बताई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

पर्यावरण और सतत विकास पर चर्चा
विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जल संरक्षण, जैविक खेती और सतत विकास पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। इसके अलावा, कस्तूरबा आदिवासी विद्यालय की छात्राओं ने “महिलाओं की भूमिका” पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।
प्रदर्शनी, पुरस्कार वितरण और समापन
इस कार्यक्रम में कवीर किसान स्टॉल, मानसिक स्वास्थ्य स्टॉल, कार्बन क्रेडिट स्टॉल और प्रेरक फोटो प्रदर्शनी सहित कई स्टॉल लगाए गए।
“प्रेरक फोटो प्रतियोगिता” के 25 विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. रवि आर. सक्सेना के संबोधन और रजनीश अवस्थी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
“भुइयां – जिम्मेवारी और जतन” कार्यक्रम सतत कृषि, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा। यह आयोजन स्थायी और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।