Assault पुलिस पर खनन माफिया पर का ताबड़तोड़ हमला

Assault हरियाणा के नूंह के तावड़ू में खनन माफियाओं ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह की हत्या कर दी, जिससे पूरे राज्य में सनसनी फैल गई. खनन माफिया का हरियाणा में करोड़ों का कारोबार फैला हुआ है और कुछ प्रभावशाली लोगों के इससे जुड़ें होने के कारण इसकी जड़ें इतनी मज़बूत हैं कि खनन माफिया से जुड़े लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.
Assault हरियाणा में पत्थरों की खनन का करोड़ों का कारोबार होता है इसलिए यह पाया गया है कि हरियाणा में खनन क्षेत्रों में माफिया के लोग इससे पहले भी कई वारदात कर चुके हैं.
पहले भी कई घटनाओं के दे चुके हैं अंजाम
Assault ,ये इतने प्रभावशाली हैं कि जनवरी 2014 में यमुनानगर में खनन माफिया के लोग पुलिस से जबरन अपनी गाड़ियों को छुड़ा ले गए थे. हरियाणा में खनन माफिया की सक्रियता की कहानी आंकड़े बता रहे हैं.
- वित्त वर्ष 2019-20 में अवैध खनन में शामिल 2020 वाहन पकड़े गए. इन पर 21.65 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया और 211 एफआईआर दर्ज की गईं.
- साल 2020-21 में ऐसे 3515 वाहन पकड़े गए, 82.77 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया और 539 एफआईआर दर्ज की गईं. वित्त वर्ष 2021-22 में अवैध खनन में इस्तेमाल किए जा रहे 2192 वाहन पकड़कर उन पर 29.40 करोड़ रुपये जुर्माना ठोका गया. साथ ही 977 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं.
- ये मामले उन तमाम जिलों के हैं, जहां पर खनन होता है. नियमों को ताक पर रखकर पंचकूला में घग्घर और टांगरी नदी में अवैध खनन हो रहा है, जबकि यमुना किनारे के जिले यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत और गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, भिवानी और महेंद्रगढ़ में पहाड़ी क्षेत्र में अवैध खनन के मामले सामने आ रहे हैं.
- Assault हालांकि स्थानीय लोगों ने इस संबंध में काफी शिकायतें कीं लेकिन बावजूद इसके प्रदेश में अवैध खनन रुक नहीं पा रहा है और यह लोग बेख़ौफ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं.
साल 2010 में यमुनानगर के बिलासपुर में तत्कालीन एसडीएम अश्वनी मैंगी पर खनन क्षेत्र में हमला हुआ था.
2011 में तत्कालीन माइनिंग फाइनेंस कमिश्नर युद्धवीर सिंह व अन्य पर मांडेवाला के पास पथराव हुआ था.
2011 में ही प्रतापनगर के तत्कालीन एसएचओ पर बांबेपुर गांव में जानलेवा हमला हुआ था.
2014 में कलनौर चौकी के तत्कालीन प्रभारी अशोक कुमार व कांस्टेबल बलवान सिंह पर हमला हुआ था.
जनवरी 2014 में यमुनानगर में खनन माफिया के लोग पुलिस से जबरन अपनी गाड़ियों को छुड़ा ले गए थे.
2015 में जाट्टोवाला में ही डीडीपीओ गगनदीप सिंह पर माफिया ने ट्रक चढ़ाने का प्रयास किया था.
2015 में एसडीएम प्रेमचंद व सिटीएम नवीन आहूजा पर जगाधरी में झोटा चौक पर ट्रक चढ़ाने का प्रयास किया गया था.
Assault जुलाई 2018 में पलवल में यमुना नदी से अवैध खनन कर चोरी से रेत ले जाने वाले खनन माफिया के गुर्गों ने पुलिस पर हमला कर दिया था. इस दौरान खनन माफिया ने पुलिस कर्मियों पर गाड़ी चढ़ाने का भी प्रयास किया था और पुलिस की सरकारी गाड़ी को टक्कर मारकर भाग निकाला था.
2020 में साढौरा में एडीसी कम आरटीए सचिव रणजीत कौर के गनमैन पर पिस्तौल तानी और ट्रक छुड़वा लिया.
2022 में सूरजकुंड स्थित अरावली की पहाड़ी से लेकर यमुना नदी के मामले में भी पुलिस के साथ खनन माफिया का आमना सामना हुआ.
इन सभी मामलों के अलावा भी कई बार खनन माफियाओं द्वारा पुलिस को निशाना बनाया जा चुका है और पुलिस पर हमले किए जा चुके हैं.
जानकारी के अनुसार 2022 में जून महीने में क्राइम ब्रांच सेक्टर-65 ने गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड से एक गिरोह को पकड़ा था. इसमें पाली गांव निवासी सोमवीर व चंद्रपाल नाम के चाय वाले को गिरफ्तार किया गया था. जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि पत्थर चोरी में करोड़ों का मुनाफा होने के कारण अपराधी बड़े से बड़ा रिस्क लेने के लिए तैयार रहते हैं.
आरोपियों ने पूरे सिस्टम को हैक करने के लिए आरटीओ विभाग के अधिकारियों की गतिविधि पर नजर रखी थी. जैसे ही अधिकारी अपने कार्यालय से बाहर निकलते हैं तो आरोपी के गुर्गे व्हाट्सएप ग्रुप पर सूचना भेज देते थे. ग्रुप में ट्रांसपोर्टर, चालक व सरगना जुड़े होते थे.
इस पूरे नेटवर्क में पुलिस से लेकर खनन विभाग और आरटीओ तक के अधिकारियों को मोटी रिश्वत दी जाती थी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसमें पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा करीब 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
क्राइम ब्रांच की अभी तक की जांच में सामने आया है कि पत्थर चोरी में एक-एक अधिकारी को हर माह 50 से 60 लाख रुपये दिए जाते थे. सूत्रों के मुताबिक, पाली गांव निवासी सोमवीर ने जिन नामों के खुलासे किए हैं वे सभी जिला स्तर के अधिकारी हैं. इसमें खनन विभाग से लेकर आरटीए और पुलिस के अफसर भी शामिल हैं.
खनन विभाग के माइनिंग अधिकारी का नाम भी जांच में सामने आया है. इस अधिकारी की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है क्योंकि कई बार ट्रांसफर से बावजूद वह कुछ महीनों में ही वापस फरीदाबाद आ जाते हैं. खनन विभाग में कार्यरत एक सूत्र ने बताया कि पत्थर में सारा खेल चोरी का है, जो ट्रक चार टन तक पास है उस पर 10 से 12 टन तक माल लादा जाता है. चार टन का बिल बनने के बाद बाकी सारा चोरी का माल होता है.
पुलिस को इनका चालान करने की पावर नहीं होती. कुछ माह तक पुलिस को इसकी पावर दी गई थी. उस समय करोड़ों का राजस्व पुलिस ने विभाग को दिया था. करीब तीन महीने पहले पुलिस से पावर वापस ले ली गई.
ओवरलोड ट्रक पहली बार पकड़े जाने पर साढ़े 4 लाख, दूसरी बार में आठ लाख, तीसरी बार में 16 लाख और चौथी बार में गाड़ी को सीज करने का प्रावधान है.
मोटे चालान से बचने के लिए हर माह मोटी रकम दी जाती है. दबाव बढ़ने पर खनन अधिकारी चालान के बजाय एफआईआर करवाकर दो दिन में गाड़ी छोड़ देते हैं. चालक जमानत के बाद दोबारा गाड़ी चलाने लगता है.
बड़े-बड़े दावों के बावजूद भी सूरजकुंड स्थित अरावली की पहाड़ी से लेकर यमुना नदी से अवैध खनन का सिलसिला रोक के बावजूद भी जारी है. 2022 जनवरी से जुलाई मध्य तक फरीदाबाद पुलिस ने अवैध खनन करने के करीब 38 मामले दर्ज किए हैं.
फरीदाबाद के सूरजकुंड से अरावली गुरुग्राम तक है. इसके अलावा फरीदाबाद और पलवल जिले के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र में यमुना नदी बहती है और इसके लिए कोई ठेका नहीं दिया गया है. इसके बावजूद रेत आसानी से मिल जाती है.