
रायपुर, 17 जून 2025। राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय और पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने कैंसर सर्जरी के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग की टीम ने 50 वर्षीय भिलाई निवासी मरीज के दुर्लभ ट्यूमर – सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम का सफल ऑपरेशन किया है, जो चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से एक जटिल और जोखिम भरी सर्जरी मानी जाती है।
इस दुर्लभ सर्जरी में 25×20 सेमी आकार के सबसे बड़े ट्यूमर समेत कुल तीन ट्यूमर हटाए गए, जो शरीर की मुख्य रक्त वाहिनियों – एओर्टा और IVC से चिपके हुए थे। सर्जरी लगभग 5 घंटे चली, जिसे ऑन्कोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. (प्रो.) आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और दो महीने के फॉलोअप में कोई भी जटिलता सामने नहीं आई है।
🌍दुर्लभ केस, पूरी दुनिया में सिर्फ 200 मरीज
डॉ. गुप्ता के अनुसार, सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम एक अत्यंत दुर्लभ और सौम्य (बेनाइन) ट्यूमर है, जो लिम्फैटिक सिस्टम की असामान्य वृद्धि के कारण पेट की आंतरिक परत (Retroperitoneal space) में बनता है। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल्स के अनुसार, अब तक इस बीमारी के केवल 200 केस ही विश्व स्तर पर रिपोर्ट हुए हैं।
🧬 इलाज से पहले 5 बड़े अस्पतालों ने सर्जरी से किया था इनकार
भिलाई के मरीज ने बताया कि वह इलाज के लिए रायपुर समेत अन्य राज्यों के बड़े अस्पतालों में गया, लेकिन जटिलता को देखते हुए 4-5 बड़े अस्पतालों ने सर्जरी से इनकार कर दिया। अंततः रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल की ऑन्कोसर्जरी टीम ने जांच के बाद ऑपरेशन की जिम्मेदारी ली और इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
🧠राज्य को मिलेंगे सुपर-स्पेशलिस्ट, शुरू हुआ MCH कोर्स
पं. नेहरू मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विवेक चौधरी के अनुसार, यह मध्यभारत का पहला सरकारी संस्थान है जहां MCH सर्जिकल ऑन्कोलॉजी पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया है। यहां पहले ही तीन MCH रेजिडेंट जॉइन कर चुके हैं, जिससे प्रदेश में कैंसर सर्जरी के सुपर-स्पेशलिस्ट तैयार हो सकेंगे।
🏥 चिकित्सा अधीक्षक बोले – प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि यह सफलता छत्तीसगढ़ की चिकित्सा सेवाओं के लिए मील का पत्थर है। अब राज्य के मरीजों को दुर्लभ और जटिल कैंसर सर्जरी की सुविधा यहीं रायपुर में मिल रही है, जिससे बाहरी राज्यों पर निर्भरता कम होगी।
🔬 सावधानी और विशेषज्ञता से ट्यूमर किया गया अलग
ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर को धीरे-धीरे मेजर ब्लड वेसल्स से अलग किया गया। डॉ. गुप्ता के अनुसार, ऐसे मामलों में ऑपरेशन के बाद दोबारा ट्यूमर बनने और जटिलताएं आने की आशंका रहती है, लेकिन इस केस में अब तक मरीज की स्थिति पूरी तरह संतोषजनक है।
➡️ यह सर्जरी न सिर्फ प्रदेश के लिए बल्कि चिकित्सा शिक्षा और कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय सफलता मानी जा रही है।