पद्मश्री पीयूष पांडे का निधन: CM साय ने जताया गहरा शोक – ‘भारतीय विज्ञापन जगत ने खो दिया अपना अविस्मरणीय जादूगर, जिसने ‘कुछ खास है’ और ‘हर खुशी में रंग लाए’ जैसी रचनाएं दी’

रायपुर, 24 अक्टूबर 2025। भारतीय विज्ञापन जगत के विलक्षण सृजनकर्ता पद्मश्री पीयूष पांडे का निधन बेहद दुखद समाचार है। अपनी रचनात्मक दृष्टि, सहज अभिव्यक्ति और जन-भावनाओं से गहरे जुड़ाव वाली शैली के कारण उन्होंने विज्ञापन की दुनिया को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके निधन से विज्ञापन ही नहीं, बल्कि भारतीय रचनात्मकता और अभिव्यक्ति जगत ने एक बड़ा स्तंभ खो दिया है।
उनके निधन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गहरा शोक व्यक्त किया है। CM साय ने कहा कि पांडे ने कहानी कहने की कला को एक नए आयाम पर पहुँचाया और “कुछ खास है जिंदगी में”, “दो बूंद जिंदगी की”, “हर घर कुछ कहता है”, “चल मेरी लूना”, “फिर एक बार मोदी सरकार” जैसे कई कालजयी विज्ञापनों के जरिए देश की सामूहिक स्मृति में खास जगह बनाई।
कौन थे पीयूष पांडे?
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर, राजस्थान में हुआ था। 1982 में उन्होंने ओगिल्वी (Ogilvy) से अपने करियर की शुरुआत की। मात्र 27 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी-प्रधान विज्ञापन जगत में कदम रखते हुए उन्होंने इसे हमेशा के लिए बदल दिया।
एशियन पेंट्स के “हर खुशी में रंग लाए”, कैडबरी के “कुछ खास है”, फेविकोल और हच जैसे ब्रांडों के जरिए उन्होंने विज्ञापनों में भारतीयता का रंग भरा। उनकी भाषा में हास्य था, अपनापन था और वह आम लोगों की नब्ज़ छू लेती थी।
उनके रणनीतिक अभियानों ने विज्ञापन को सिर्फ उत्पाद बेचने का साधन नहीं रहने दिया, बल्कि भावनाओं, रिश्तों और संस्कृति को संवाद का हिस्सा बनाया।
अपूरणीय क्षति
उद्योग जगत, रचनात्मक समुदाय और करोड़ों दर्शकों के लिए यह क्षति न भरने वाली है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य व शक्ति दे।
ॐ शांति।



