छत्तीसगढ़ राज्य के 25 साल पूरे: आधी रात जब भारत के नक्शे पर उभरा नया राज्य, सोनिया गांधी के दो शब्द “Get Ready” से लिखी गई थी अजीत जोगी की किस्मत — पढ़िए उस ऐतिहासिक रात की 8 अनसुनी कहानियां, जब ‘हमर राज, हमर छत्तीसगढ़’ का सपना सच हुआ

रायपुर | 1 नवंबर 2025
आज छत्तीसगढ़ राज्य को बने 25 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन 1 नवंबर 2000 की वो ऐतिहासिक रात आज भी हर छत्तीसगढ़िया की यादों में ताजा है।
जब घड़ी ने 12 बजाए और तारीख ने 1 नवंबर का रूप लिया — भारत के नक्शे पर एक नया राज्य दर्ज हुआ। मंच पर अजीत जोगी खड़े थे, कैमरों की फ्लैश चमक रही थी और तालियों की गूंज में इतिहास लिखा जा रहा था।
राज्य गठन का ऐलान, शपथ ग्रहण और पहले मुख्यमंत्री की घोषणा — इन तीनों के बीच कई अनकही कहानियां छिपी थीं। पढ़िए उस ऐतिहासिक रात और उसके पहले-पिछले की 8 अनसुनी कहानियां, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की राजनीति की दिशा तय की।
पहली कहानी – चुनाव हारे, पर सोनिया गांधी ने कहा ‘Get Ready’
1999 में शहडोल से लोकसभा चुनाव हारने के बाद अजीत जोगी ने सोचा भी नहीं था कि हार उन्हें इतिहास का हिस्सा बना देगी। दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान उन्होंने जोगी से कहा –
“Get Ready”
और फिर जोड़ा — “छत्तीसगढ़ का गठन होने वाला है, तैयार रहो।”
सोनिया ने हिदायत दी — किसी से मत कहना, यहां तक कि रेणु जोगी से भी नहीं।
यही दो शब्द थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री की कहानी लिखी।
दूसरी कहानी – दिल्ली के 10 जनपथ में जमे थे छत्तीसगढ़ के नेता
राज्य निर्माण की घोषणा होते ही दिल्ली में छत्तीसगढ़ के दावेदारों का जमावड़ा लग गया।
हर होटल, हर लॉबी में बस एक सवाल — कौन बनेगा पहला मुख्यमंत्री?
विद्याचरण शुक्ल सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, पर अजीत जोगी के समर्थन में दिल्ली में वाणी राव, सुरेंद्र बहादुर सिंह और इमरान खान लगातार लॉबिंग कर रहे थे।
गुलाम नबी आजाद और प्रभा राव को सोनिया ने रायपुर भेजा — फैसला होना था, दिल्ली से नहीं रायपुर में।
तीसरी कहानी – आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग और ‘आदिवासी एक्सप्रेस’
राज्य गठन से पहले आदिवासी विधायकों ने नारा बुलंद किया —
“पहला मुख्यमंत्री आदिवासी हो।”
बस्तर से रायपुर तक चली ‘आदिवासी एक्सप्रेस’ बस यात्रा में महेन्द्र कर्मा सबसे आगे थे।
जोगी ने भी माहौल भांपा और समर्थन जताया।
आखिरकार दिल्ली में फैसला हुआ — आदिवासी नेता अजीत जोगी होंगे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री।
चौथी कहानी – विद्याचरण शुक्ल का फार्महाउस प्लान
जब साफ हो गया कि जोगी ही मुख्यमंत्री बनेंगे, तो विद्याचरण शुक्ल ने समीकरण पलटने की कोशिश की।
उन्होंने सात समर्थक विधायकों को फार्महाउस बुलाया और भाजपा से संपर्क साधा।
पर बाकी विधायक नहीं माने।
पिकाडिली होटल में हुई बैठक में 44 वोट जोगी के पक्ष में और 7 शुक्ल के मिले।
गुलाम नबी आजाद ने जोगी के नाम की घोषणा की — और रायपुर जश्न में डूब गया।
उधर, शुक्ल के फार्महाउस में गुस्से में फटे कुर्ते और अफरा-तफरी की खबरें थीं।
पांचवीं कहानी – नीतीश कुमार का सुझाव और राज्य की मध्यरात्रि जन्म
छत्तीसगढ़ के पहले राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय की नियुक्ति और शपथ समारोह की टाइमिंग तय कराने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही।
तब वे केंद्र में मंत्री थे।
नीतीश ने कहा — “जब घड़ी 12 बजाए, तब भारत के नक्शे में नया राज्य दर्ज हो।”
इसी सुझाव पर 1 नवंबर की आधी रात को छत्तीसगढ़ का जन्म हुआ।
छठवीं कहानी – दिग्विजय सिंह की भविष्यवाणी
शपथ ग्रहण की रात दिग्विजय सिंह ने जोगी से कहा —
“याद है, 1986 में जब तुमने IAS छोड़ा था, तब मैंने कहा था — जब कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बनेगा, वो तुम ही रहोगे।”
राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय ने शपथ दिलाई, और जोगी बोले —
“मैं आपका प्रथम सेवक बनूंगा।”
अगले दिन विपक्ष ने इस पर विवाद खड़ा किया, पर अदालत ने कहा — “सत्य के मार्ग पर चलने में कोई आपत्ति नहीं।”
सातवीं कहानी – रेणु जोगी के पास नहीं था पास
इतिहास बन रहा था, पर छत्तीसगढ़ की भावी प्रथम महिला रेणु जोगी को शपथ समारोह में प्रवेश नहीं मिला।
वो बेटे अमित के साथ मारुति 800 से पुलिस ग्राउंड पहुंचीं, पर गेट पर रोक दी गईं।
विधायक गीता देवी सिंह ने अपनी गाड़ी से अंदर पहुंचाया।
जब अजीत जोगी ने शपथ ली, दूर खड़ी रेणु की आंखों में गर्व और भावनाओं की चमक थी।
आठवीं कहानी – “आज नगद, कल उधार” से शुरू हुई अर्थव्यवस्था
राज्य बनने के बाद खजाना खाली था।
अजीत जोगी ने फैसला किया — बिजली बेचेंगे।
दिग्विजय सिंह ने मना किया, पर जोगी बोले —
“अगर राहत नहीं दूं तो लोग भूख से मर जाएंगे।”
सोनिया गांधी ने हामी भरी।
जब दिग्विजय बोले कि फिलहाल नगद नहीं दे सकते, जोगी मुस्कुराए और बोले —
“मेरी दुकान में बोर्ड है — आज नगद, कल उधार।”
यही थी छत्तीसगढ़ की पहली कमाई और आत्मनिर्भरता की शुरुआत।
25 साल बाद भी छत्तीसगढ़ की कहानी सिर्फ विकास की नहीं, उस सपने की है जो 1 नवंबर 2000 की रात साकार हुआ था — जब एक प्रदेश ने कहा था, “अब हमर राज, हमर छत्तीसगढ़।”



