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MP के स्कूल में हिजाब में हिंदू लड़कियां:पेरेंट्स बोले- यहां ये ड्रेस कोड; CM ने कहा- जांच होगी

दमोह, 1-6-2023/ मध्य प्रदेश के दमोह में गंगा जमना स्कूल में पढ़ने वाली हिंदू लड़कियों का हिजाब में फोटो आया है। 10वीं का रिजल्ट आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने टॉपर्स की फोटो जारी की, इसमें 18 बच्चों की फोटो हैं। इनमें 15 लड़कियां हैं, ये सभी हिजाब में दिख रही हैं। इनमें चार लड़कियां हिंदू हैं। पेरेंट्स का कहना है कि यह स्कार्फ (हिजाब) स्कूल के ड्रेस कोड का हिस्सा है। यह मामला दमोह स्टोरी नाम से वायरल हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर को इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
धर्मांतरण के आरोप लगे
इन्हीं फोटोज में एक हिंदू छात्रा जिसने इस साल 10वीं क्लास में स्कूल टॉप किया है, उसका कहना है कि स्कूल में अल्लामा इकबाल का गीत- ‘लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी, जिंदगी हो शमा की सूरत खुदाया मेरी’ गवाया जाता है। मामला सामने आते ही हिंदू संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने स्कूल की मान्यता रद्द करने के साथ ही जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी दमोह के एसपी को मामले की जांच के आदेश दे चुके हैं। स्कूल के डायरेक्टर इसे एक सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह दुआ बच्चों के लिए होती है। छात्रा के परिजन को ताे इस बात की जानकारी ही नहीं है कि स्कूल में राष्ट्रगान के अलावा प्रेयर के रूप में अल्लामा इकबाल का गीत भी गवाया जाता है। वहीं, कलेक्टर मयंक अग्रवाल का दावा है कि स्कूल में सब कुछ ठीक है।
सबसे पहले बात छात्राओं के हिजाब वाले पोस्टर की…
दमोह के गौरीशंकर चौराहे पर 10वीं के रिजल्ट आने के बाद गंगा जमना हायर सेकेंडरी स्कूल ने अपनी उपलब्धि बताने के लिए यह पोस्टर लगाया। किसी ने इसका फोटो खींचा और सोशल मीडिया ग्रुप पर पोस्ट कर दिया। हिजाब और धर्म से जोड़कर तरह-तरह के कमेंट होने लगे। यह बात राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक पहुंची। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसे लेकर एक ट्वीट किया। प्रशासन ने जांच के निर्देश दिए। छात्रा रूपाली साहू ने बताया कि मैं टॉपर हूं, इसलिए मेरा फोटो भी एक फ्लैक्स में लगाया गया था। जो स्कार्फ है, उसे हिजाब बोला जा रहा है। प्रेयर में जन गण मन.. होता है और एक दुआ होती है, जिसके बोल हैं ‘लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी, जिंदगी हो शमा की सूरत खुदाया मेरी।’ छात्रा की मां लीलावती साहू का कहना है कि एक यूनिफॉर्म है, जो उनकी बेटी अन्य बच्चों की तरह पहनकर स्कूल जाती है। स्कूल में कोई भी धार्मिक प्रचार नहीं होता। जिस दुआ की बात की जा रही है उसकी मुझे जानकारी नहीं थी। अब मैं स्कूल प्रबंधन से इस बारे में बात करूंगी और यह भी मांग करूंगी कि स्कूल में सरस्वती वंदना भी गाई जाए। स्कूल के डायरेक्टर इदरीश खान का कहना है कि जिसे हिजाब कहा जा रहा है वह स्कार्फ है। स्कूल का ड्रेस कोड है, इसलिए सभी बच्चे पहनकर आते हैं और इस पर बच्चों के अभिभावकों को भी कोई आपत्ति नहीं है।
इकबाल का गीत एक दुआ है जो बच्चे अपने लिए करते हैं। यह स्कूल अल्पसंख्यक कोटे से मान्यता प्राप्त है, जिसमें केवल धर्म विशेष के बच्चे ही पढ़ सकते हैं, लेकिन वह सभी धर्म के बच्चों को अपने स्कूल में एडमिशन देते हैं। यह स्कूल 2010 से संचालित हो रहा है। 
बुधवार को मामले ने तूल पकड़ा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने फिर से जांच के आदेश दिए। विवाद के बाद बुधवार को इस पोस्टर को चौराहे से हटा दिया गया। जिस चौराहे पर यह पोस्टर लगाया गया था, स्कूल उसके नजदीक ही है।       

कलेक्टर बोले- धर्मांतरण का मामला सामने नहीं आया
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया कि मामले की खबर मिलने के बाद हमने कोतवाली टीआई और कुछ अधिकारियों को मिलाकर एक टीम बनाई थी, जिसने इस पूरे मामले की जांच की। अभिभावकों से बात हुई है। स्कूल प्रबंधन से भी बात हुई, लेकिन धर्मांतरण का मामला कहीं सामने नहीं आया।
अब गृह मंत्री के आदेश हुए हैं, इसलिए फिर से एक जांच टीम बनाई जा रही है, जिसमें तहसीलदार, जिला शिक्षा अधिकारी और पुलिस अधिकारी शामिल होंगे और उन सभी के द्वारा जो जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, उसे गृहमंत्री तक भेज दिया जाएगा।                                 स्कूल में 1200 बच्चे, इस साल से शुरू होगी 12वीं की पढ़ाई
गंगा जमना हायर सेकेंडरी स्कूल 2010 से दमोह शहर के गौरीशंकर तिराहा के पास संचालित है। स्कूल में करीब 1200 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल नर्सरी से लेकर 11वीं तक संचालित हो रहा है। इस साल के नए सत्र में अब 12वीं के बच्चे भी स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगे।
यह स्कूल अल्पसंख्यक कोटे से सेंट्रल गवर्नमेंट से मान्यता प्राप्त है, जिसमें यदि स्कूल प्रबंधन चाहे तो केवल धर्म विशेष के बच्चों को ही पढ़ाएगा, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने यह व्यवस्था की है कि दूसरे धर्म के बच्चे भी उनके स्कूल में पढ़ सकते हैं।
स्कूल के डायरेक्टर ने यह भी बताया कि वे अपने स्कूल में कई गैर मुस्लिम बच्चों को फ्री में शिक्षा दे रहे हैं। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत उनका स्कूल नहीं आता है, उन्हें 25% बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, लेकिन वह अपनी खुशी से स्कूल में कई बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं।                                                                            सीएम बोले- जांच के बाद कार्रवाई करेंगे
भोपाल में मां तुझे प्रणाम कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दमोह स्कूल का मामला मेरे संज्ञान में आया है। किसी भी बेटी को कोई स्कूल बाध्य नहीं कर सकता कि वो कोई ऐसी चीज पहने जो उसकी परम्परा में नहीं है। मैंने जांच के निर्देश दिए हैं। जांच के बाद तथ्यों के आधार पर हम कार्रवाई करेंगे।

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