Green Economy Boom: 2047 तक 48 करोड़ नई नौकरियां | ग्रीन सेक्टर बनेगा भारत की अर्थव्यवस्था का नया इंजन

नई दिल्ली। भारत में ग्रीन इकोनमी अगले दो दशकों में रोजगार और अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा इंजन बनने जा रही है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2047 तक ग्रीन सेक्टर में 48 करोड़ से ज्यादा नौकरियां पैदा होने की क्षमता है। इसमें से करीब आधी नौकरियां जैव अर्थव्यवस्था और प्रकृति आधारित समाधानों से जुड़े क्षेत्रों में मिलेंगी। रिपोर्ट कहती है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा और लोग कृषि पर निर्भरता कम कर ग्रीन सेक्टर के उभरते क्षेत्रों की ओर बढ़ेंगे।
CEEW का अनुमान है कि भारत का ग्रीन मार्केट 2047 तक सालाना 360 लाख करोड़ रुपए का विशाल बाजार बन सकता है, जो देश के आर्थिक ढांचे के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।
क्या है ग्रीन इकोनॉमी?
ग्रीन इकोनॉमी वह तंत्र है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक विकास को गति देता है। इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी की रक्षा करते हुए रोजगार, आय और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
किस सेक्टर में कितनी नौकरियां बनेंगी? (2047 तक का अनुमान)
गिनती व्यक्तियों में, न कि करोड़ों में — (आपके दिए आंकड़े “लाखों” या “व्यक्तियों” में हैं, ‘करोड़ों’ नहीं):
- 96,47,050 — इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग
- 72,57,580 — रसायन-मुक्त खेती और बायो इनपुट
- 21,57,594 — बायो रिसोर्स इंजीनियरिंग आधारित तकनीक
- 32,98,863 — स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन
- 47,02,345 — कृषि वानिकी व सतत वन प्रबंधन
- 37,01,553 — वेटलैंड (दलदली जमीन) प्रबंधन
- 14,23,859 — अन्य बायो इकोनॉमी उत्पाद
- 16,17,815 — सतत पर्यटन
- 18,07,692 — औषधीय एवं हर्बल उत्पाद
- 76,81,615 — सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट
- 16,51,820 — बांस से बने उत्पाद
- 12,19,944 — ऊर्जा भंडारण तकनीक
देश के रोजगार बाज़ार में बड़ा बदलाव
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे भारत नेट-ज़ीरो की दिशा में आगे बढ़ रहा है, EV, बांस उत्पाद, रसायन-मुक्त खेती, वेस्ट मैनेजमेंट, सस्टेनेबल टूरिज्म और क्लीन एनर्जी जैसे सेक्टर रोजगार सृजन के नए केंद्र बनेंगे। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में नौकरियों में तेजी आएगी।
ग्रीन इकोनॉमी न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख आधार भी बनेगी।



