छत्तीसगढ़

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: रायपुर अस्पताल में एचआईवी पीड़िता की पहचान उजागर करने पर राज्य सरकार को निर्देश, पीड़िता को मिलेगा 2 लाख रुपए मुआवजा

रायपुर, 16 अक्टूबर 2025।रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में एचआईवी पॉजिटिव महिला की पहचान उजागर करने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने राज्य सरकार को दोषियों पर तुरंत कार्रवाई करने और पीड़िता को 2 लाख रुपए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह घटना न केवल अमानवीय है, बल्कि निजता और मानव गरिमा के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र भी मांगा था।

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ने बताया कि एचआईवी पीड़ितों की पहचान उजागर न करने का नियम पहले से लागू है और सभी चिकित्सा संस्थानों को इसका पालन करना अनिवार्य है। इसके बावजूद अस्पताल कर्मियों की लापरवाही के कारण यह अमानवीय घटना हुई। मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और विभागीय जांच जारी है।

यह विवाद उस समय बढ़ा जब नवजात शिशु के पास अस्पताल में एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें लिखा था कि बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है। बच्चे के पिता ने यह पोस्टर देखा और भावुक होकर रो पड़े। हाईकोर्ट ने इसे अत्यंत असंवेदनशील और निंदनीय आचरण करार दिया और कहा कि यह सामाजिक कलंक और भविष्य में भेदभाव का कारण बन सकता है।

अदालत ने कहा कि यह कार्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने मामले की पूरी जांच और दोषियों पर कार्रवाई के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।


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Manish Tiwari

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