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छत्तीसगढ़ में प्रिंटिंग घोटाले पर बड़ा एक्शन: अब सरकारी विज्ञापन, प्रचार-प्रसार और किताबों की छपाई सिर्फ ‘छत्तीसगढ़ संवाद’ से होगी, घोटाले में लिप्त अफसरों पर गिरेगी गाज!

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी विभागों में प्रिंटिंग और प्रचार-प्रसार के नाम पर हो रही वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाया है। वित्त विभाग के सचिव मुकेश कुमार बंसल ने सभी सरकारी विभागों, उपक्रमों, मंडलों एवं अर्द्धशासकीय संस्थाओं को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि सरकारी विज्ञापन, मुद्रण और प्रचार-प्रसार संबंधी सभी कार्य अब केवल छत्तीसगढ़ संवाद के माध्यम से कराए जाएंगे।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि छत्तीसगढ़ संवाद के जरिए कराए गए कार्यों का ही भुगतान किया जाएगा। यदि कोई विभाग इसके बिना किसी अन्य माध्यम से प्रिंटिंग या प्रचार-प्रसार कराता है, तो उसके देयकों का भुगतान नहीं किया जाएगा। आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

10 वर्षों से चल रहा था प्रिंटिंग घोटाला

छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2001 में सरकारी प्रचार-प्रसार, विज्ञापन और पुस्तक मुद्रण का कार्य छत्तीसगढ़ संवाद से कराने का आदेश जारी किया था। वर्ष 2018-19 में भी इसी तरह का आदेश दोहराया गया था। बावजूद इसके, पिछले 10 वर्षों से पाठ्य पुस्तक निगम और सरकारी प्रेस ने बाहरी प्रिंटर्स के साथ सांठगांठ कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया।

सूत्रों के मुताबिक, प्रिंटिंग माफिया ने उच्च स्तर पर अपने संपर्कों का उपयोग कर करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए। बिना किसी निगरानी के प्रिंटिंग का काम बाहरी एजेंसियों को सौंपा गया, जिससे भारी अनियमितताएं हुईं।

2020-21 के बाद टेंडर जारी नहीं, पुराने ठेकेदारों को ही काम

जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकारी प्रेस ने 2020-21 में अंतिम बार किताबों की छपाई के लिए टेंडर जारी किया था। इसके बाद कोई नया टेंडर नहीं निकाला गया। 2021 में जिन प्रिंटर्स को ठेका दिया गया था, उन्हीं से अब तक किताबों की छपाई करवाई जा रही है।

राज्य के भंडार क्रय नियम 2022 के अनुसार, किसी भी निविदा अनुबंध की वैधता छह महीने से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती। लेकिन नियमों को ताक पर रखकर चार से पांच प्रिंटिंग कंपनियों को ही लगातार ऊंची दर पर ठेके दिए जा रहे थे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया घोटाले पर प्रहार

सरकार बदलते ही इस घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक पहुंची। उन्होंने तुरंत इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। वित्त विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब से सभी सरकारी विज्ञापन, प्रचार-प्रसार, पुस्तकों की छपाई, प्रचार सामग्री, होर्डिंग्स, वृत्तचित्र आदि का निर्माण केवल छत्तीसगढ़ संवाद से ही कराया जाएगा।

यदि छत्तीसगढ़ संवाद किसी कारणवश कार्य करने में असमर्थ होता है, तो उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना होगा। बिना इस प्रमाण पत्र के किसी अन्य माध्यम से किया गया कार्य अवैध माना जाएगा और भुगतान भी रोका जाएगा।

अफसरों और प्रिंटर्स की मिलीभगत से हो रहा था करोड़ों का खेल

सरकारी प्रेस और पाठ्य पुस्तक निगम अपना मूल कार्य छोड़कर दूसरे विभागों के लिए छपाई का कार्य कर रहे थे। इसमें अफसरों और बाहरी प्रिंटर्स की मिलीभगत से मोटी रकम की हेराफेरी की जा रही थी।

इस साल समग्र शिक्षा अभियान के तहत 60 करोड़ रुपये का बजट किताबों की छपाई के लिए मिला है। इसमें अनुमान लगाया गया कि 30 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की योजना बनाई गई थी।

अब सभी विभागों पर होगी कड़ी निगरानी

वित्त सचिव मुकेश कुमार बंसल ने राज्य के सभी कोषालय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि केवल छत्तीसगढ़ संवाद के माध्यम से कराए गए कार्यों का ही भुगतान करें। यदि कोई अधिकारी आदेशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सरकार के इस कड़े फैसले से वर्षों से जारी प्रिंटिंग घोटाले पर रोक लगेगी और सरकारी खर्चों में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

Manish Tiwari

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